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Thursday 9 January 2014

13 साल से नौकरी कर रहे, चौटाला राज में भर्ती 2862 जेबीटी शिक्षकों की नियुक्ति खारिज

** पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट का फैसला : कुल 3206 में से 344 जेबीटी शिक्षकों की नौकरी बनी रहेगी
** 13 साल की नौकरी, बरकरार रखने का आधार नहीं कोर्ट ने कहा कि 13 साल तक नौकरी में रहना, नौकरी जारी रखने का आधार नहीं हो सकता।
चंडीगढ़ : हाईकोर्ट ने 13 साल से नौकरी कर रहे 2862 जेबीटी (जूनियर बेसिक ट्रेंड) शिक्षकों की नियुक्ति खारिज कर दी। भर्तियां पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के शासनकाल में अक्टूबर,2002 में हुई थीं। कुल 3206 जेबीटी शिक्षकों को नियुक्ति दी गई थी। इनमें से 221 ऐसे उम्मीदवार थे, जिनके नंबर कम किए गए। बावजूद इसके उन्होंने मेरिट सूची में जगह बनाई और वे चयनित हुए। 
हाईकोर्ट ने कहा कि ये उम्मीदवार नौकरी में बने रहने के हकदार हैं। 123 अभ्यर्थी ऐसे हैं, जिनका नाम दोनों मेरिट लिस्ट में था। ये भी नौकरी में बने रहेंगे। हालांकि सरकार ने इनकी संख्या 123 बताई जबकि याचिकाकर्ताओं की तरफ से संख्या सिर्फ 7 बताई गई। ऐसे में कोर्ट ने कहा-सरकार इन उम्मीदवारों की सही संख्या का पता कर कार्रवाई करे। फैसला जस्टिस के. कण्णन की एकल बेंच ने सोमवार को इस मामले में 30 पेज का फैसला सुनाया।
अब तक की कहानी : 
  • 1999-2000 में 18 जिलों में 3206 जेबीटी शिक्षकों की भर्ती 
  • विपक्ष ने धांधली का आरोप लगाया 
  • सुप्रीम कोर्ट ने 2008 में जांच सीबीआई को सौंपी 
  • सीबीआई कोर्ट में 22 जनवरी, 2013 को चौटाला पिता-पुत्र समेत 56 लोगों को सजा। 
  • भर्ती में असफल रहे उम्मीदवार पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट पहुंचे, अब भर्ती रद्द

दलील खारिज : 
नौकरी कर रहे जेबीटी शिक्षकों की ओर से कोर्ट को बताया कि ऐसा कोई भी साक्ष्य सामने नहीं आया, जिससे यह साबित हो कि चयनित उम्मीदवारों ने भर्ती रिकार्ड से छेड़छाड़ की। ऐसे में 13 साल से नौकरी कर रहे शिक्षकों को नौकरी से बाहर नहीं किया जा सकता। हाईकोर्ट ने इस दलील को खारिज कर दिया।
" मेधावी उम्मीदवारों को नियुक्ति नहीं देना, यह दर्शाता है कि भर्ती प्रक्रिया में खामियां रही"---जस्टिस के. कण्णन
                                          दो सहूलियत
वेतन-भत्ता वापस नहीं होगा 
हाईकोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार एकल मेरिट सूची बनाए और योग्य उम्मीदवारों को नौकरी में बनाए रखे। ऐसे उम्मीदवारों को नौकरी से निकालने के लिए नोटिस देने की आवश्यकता नहीं है, जबकि अयोग्य उम्मीदवारों को नोटिस देकर नौकरी से बाहर किया जाए। निकाले जाने वाले उम्मीदवारों से 13 साल तक नौकरी के दौरान पाने वाले वेतन और अन्य लाभ की वसूली न की जाए।
उम्र में छूट को पॉलिसी बनेगी 
अदालत ने निर्देश दिया है कि जिन लोगों को बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है, उनके लिए राज्य सरकार आयु सीमा में छूट की पॉलिसी बनाए। नई नियुक्तियों के लिए आवेदन मांगते समय ऐसे अभ्यर्थियों को उम्र में छूट मिले।
यह है मामला :
भर्ती में असफल रहे उम्मीदवारों की तरफ से अलग-अलग 80 याचिकाएं दायर की गई थी। कहा गया-उनका नाम डिस्ट्रिक्ट लेवल कमेटियों द्वारा तैयार की गई लिस्ट में था। फिर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री के प्रभाव में मेरिट लिस्ट बदली गई और उनका चयन नहीं हो सका। याचिकाकर्ताओं ने मांग रखी कि सीबीआई की विशेष अदालत द्वारा पूर्व सीएम ओम प्रकाश चौटाला को सजा सुनाई जा चुकी है। ऐसे में सभी नियुक्तियां भी खारिज की जाएं। साथ ही उन जैसे योग्य उम्मीदवारों की नियुक्ति के निर्देश दिए जाएं। उल्लेखनीय है कि दिल्ली में रोहिणी स्थित सीबीआई कोर्ट ने शिक्षक भर्ती घोटाले में इनेलो प्रमुख ओम प्रकाश चौटाला व उनके बेटे अजय चौटाला समेत 56 लोगों को दोषी ठहराया। कोर्ट ने जनवरी 2013 में दोषियों को अलग अलग वर्षों की सजा मुकर्रर की है। दोषियों में से चौटाला पिता-पुत्र को सर्वाधिक 10-10 साल के कारावास की सजा हुई।
साबित हुआ था-लिस्ट फर्जी
4 साल की जांच में सीबीआई ने साबित किया कि दूसरी लिस्ट दिल्ली स्थित हरियाणा भवन व चंडीगढ़ के एक गेस्ट बनाई गई। तत्कालीन सीएम के आदेश पर धांधली हुई। वहीं सीबीआई कोर्ट ने भी फैसले में कहा था कि जिलास्तरीय मेरिट लिस्ट के आधार पर दोबारा इंटरव्यू से भर्ती की जाए। इंटरव्यू में 17 से कम अंक वाले नौकरी से निकाले जाएं।
टीचरों की कमी पूरी करने के लिए उठाएंगे कदम
फैसले की प्रतिलिपि मिलने के बाद उस पर कानूनी राय ली जाएगी। तब सरकार कदम उठाएगी। बच्चों की पढ़ाई प्रभावित नहीं होने दी जाएगी। भर्ती रद्द होने से टीचरों की कमी पूरी करने के उपाय किए जाएंगे। इसके लिए रिटायर्ड टीचरों को अनुबंध पर रखा जा रहा है। सत्र के बीच में कोई रिटायर नहीं होगा। 9000 टीचरों के इंटरव्यू चल रहे हैं। -गीता भुक्कल, शिक्षामंत्री
आगे क्या :
हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद अब नौकरी कर रहे जेबीटी शिक्षकों के पास दो विकल्प हैं। पहला- हाईकोर्ट के सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ बड़ी बेंच में अपील। दूसरा- हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती।                                db

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