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Saturday 11 January 2014

निजी स्कूलों ने आरक्षित सीटों की सूचना नहीं की सार्वजनिक

** शिक्षा विभाग के निर्देशानुसार 8 जनवरी तक ऑनलाइन देनी थी जानकारी 
हिसार : निजी स्कूल नियम 134-ए के तहत आर्थिक रूप से पिछड़े बच्चों को दाखिला देने को लेकर गंभीर नहीं है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि शिक्षा विभाग की ओर से दी गई समय सीमा खत्म होने के बावजूद स्कूलों ने आरक्षित सीटों की सूचना सार्वजनिक नहीं की है। अब तक करीब 400 स्कूलों ने इसे विभाग के ऑनलाइन पेज पर अपडेट नहीं किया है। विभाग के मुताबिक सूचना सार्वजनिक न करने वाले स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। 
शिक्षा विभाग की ओर से एक वेब पेज तैयार किया गया है। इस पेज पर सभी मान्यता निजी स्कूलों(हरियाणा बोर्ड व सीबीएसई से एफिलिएटेड) को यह सूचना देनी है कि उनके स्कूल में नियम 134-ए के तहत कितनी सीटों का प्रावधान है। इसके लिए विभाग ने सभी स्कूलों को यूजर नेम व पासवर्ड भी जारी किए हैं। 
ऑनलाइन सूचना देने के साथ साथ स्कूलों को इसकी एक हार्डकॉपी जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में भी जमा करानी है। विभाग ने स्कूलों को इसके लिए 6 जनवरी तक का समय दिया था, मगर अभी तक स्कूलों ने यह जानकारी उपलब्ध नहीं कराई। इसके बाद विभाग ने 8 जनवरी तक स्कूलों को यह सूचना देने का आदेश दिया। मगर अभी भी स्कूलों ने यह जानकारी विभाग को नहीं दी है। 
जिले में नौ ब्लॉक में ऐसे स्कूलों की संख्या 400 के आसपास है, जिन्हें यह सूचना देनी है और अभी तक सिर्फ एक ही ब्लॉक के स्कूल ने यह सूचना दी है और उसमें भी सभी स्कूलों ने यह सूचना नहीं दी। 
सूचना देनी जरूरी है 
"सभी मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों को यह सूचना देनी आवश्यक है। स्कूल जल्द से जल्द ऑनलाइन यह सूचना उपलब्ध करा दें। अभी तक काफी कम स्कूलों ने यह सूचना उपलब्ध कराई है।"--संगीता, खंड शिक्षा अधिकारी, हिसार ब्लॉक 
यह है नियम 134-ए 
हरियाणा स्कूल शिक्षा अधिनियम 2003 के नियम 134-ए के अंतर्गत सभी निजी स्कूलों को 10 फीसदी सीटों पर पहली से 12वीं कक्षा तक आर्थिक रूप से पिछड़े व जरूरतमंद बच्चों को सरकारी स्कूल की फीस पर दाखिला देना होगा। क्योंकि सरकारी स्कूलों में पहली से आठवीं कक्षा तक कोई फीस नहीं ली जाती, तो निजी स्कूल भी आठवीं कक्षा तक कोई फीस नहीं ले सकते। हालांकि यह 25 फीसदी था, जिसे बाद में घटाकर 10 फीसदी कर दिया गया। हालांकि निजी स्कूल शुरुआत से ही इस नियम का विरोध कर रहे हैं।                                db

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