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Sunday 5 January 2014

शिक्षा निदेशालय को किसी स्कूल ने नहीं दिया जवाब

** निजी स्कूलों में गरीब बच्चों को 10% आरक्षण 
** पूछा था धारा 134 ए के तहत कितने दाखिले दिए गए 
चंडीगढ़ : पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद भी निजी स्कूलों में धारा 134 ए के तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों का दस प्रतिशत दाखिला सुनिश्चित नहीं हो पा रहा है। यहीं वजह है अब निजी स्कूल संचालक इस बारे में मांगी गई रिपोर्ट पर टालमटोल कर रहे हैं। शिक्षा निदेशालय ने यह जानकारी 31 दिसंबर तक मांगी थी। धारा 134 ए के तहत दाखिला सुनिश्चित करने के लिए दस जमा दो मुद्दे जन आंदोलन ने हाईकोर्ट में अपील की थी। इस अपील पर शिक्षा विभाग की प्रिंसिपल सेक्रेटरी सुरीना राजन ने कहा था कि निजी स्कूल में दस प्रतिशत दाखिले सुनिश्चित किए जाएंगे। इसके लिए उन्होंने कमेटी गठित करने की बात भी कही थी। 
रिपोर्ट तो देनी ही होगी 
शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल ने कहा कि बच्चों को धारा 134 ए के तहत दाखिला मिले इसे लेकर सरकार गंभीर है। प्रत्येक जिले में एक कमेटी गठित की गई है। किसी को शिकायत है तो कमेटी में भी शिकायत कर सकते हैं। यहां भी यदि उचित कार्रवाई नहीं हो रही तो राज्यस्तरीय कमेटी में भी शिकायत की जा सकती है। शिक्षा मंत्री ने बताया कि रिपोर्ट तो स्कूलों को हर हालत मे देनी होगी। जो स्कूल अपनी रिपोर्ट नहीं देगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। 
क्या है धारा 134 ए 
हरियाणा एजुकेशन एक्ट 2005 की धारा 134ए के तहत गरीब बच्चों, पिछड़े परिवार के बच्चों और बीपीएल परिवार के बच्चों को निजी स्कूल में 25 प्रतिशत आरक्षण दिया गया। इसमें पहली से आठवीं कक्षा तक मुफ्त में शिक्षा। इसके बाद दस जमा दो तक सरकारी फीस स्कूल में देनी होगी। निजी स्कूल संचालकों ने इसका विरोध किया। इनका कहना था कि इसे लागू करने में उन्हें आर्थिक दिक्कत आएगी। इस पर सरकार ने कोटा घटा कर 10 प्रतिशत कर दिया। 
गंभीर नहीं है निजी स्कूल संचालक : सत्यवीर
दस जमा दो मुद्दे जन आंदोलन के संयोजक सत्यवीर हुड्डा का कहना है कि इस नियम के तहत दाखिला देने के लिए निजी स्कूल संचालक गंभीर नहीं हैं। सरकार भी ठोस कदम नहीं उठा रही है। ऐसे में गरीब बच्चों का हक मारा जा रहा है। उन्होंने बताया कि धारा 134 ए के तहत गरीब व पिछड़े वर्ग के दस प्रतिशत बच्चों को निजी स्कूल में मुफ्त में शिक्षा दी जाएगी। 
सियासी दलों का तो यह मुद्दा ही नहीं : 
इधर युवा संगठन के सचिव अशोक ने बताया कि शिक्षा किसी भी सियासी दल का मुद्दा नहीं है। धारा 134 ए पर यदि सियासी दल मुखर होते तो यह लाभ गरीब वर्ग को मिल सकता था, लेकिन आज तक इस बारे में प्रमुख विपक्षी दल इनेलो ने एक बार भी आवाज नहीं उठाई। भाजपा व हजकां का भी यहीं हाल है। 
6000 स्कूलों को देनी है रिपोर्ट 
मामले में प्रदेश के कुल 6000 स्कूलों ने रिपोर्ट देनी है, लेकिन अधिकतर स्कूलों ने अभी रिपोर्ट नहीं सौंपी है। भिवानी में एक भी स्कूल ने रिपोर्ट नहीं भेजी। यहां ऐसे स्कूलों की संख्या 545 हैं, जिन्हें दस प्रतिशत बच्चों को बिना फीस के दाखिला देना है। फतेहाबाद में सिर्फ भूना ब्लॉक के स्कूल की रिपोर्ट आई है। डीईओ आशा ग्रोवर का कहना है कि भूना ब्लॉक के लड़कों के स्कूल में 128 विद्यार्थियों और लड़कियों के स्कूल में 122 छात्राओं को दाखिला दिया गया है। अन्य ब्लॉकों के स्कूलों की रिपोर्ट अभी आनी है। रोहतक से भी रिपोर्ट नहीं आई। रेवाड़ी में 289 निजी स्कूलों में से आधे ने भी 134-ए का लाभ नहीं दिया। नारनौल में 320 प्राइवेट स्कूल हैं। प्राइवेट स्कूलों में से आधे से अधिक ऐसे हैं, जिन्होंने आज तक आरटीई के तहत बच्चों को दिए प्रवेश के संबंध में शिक्षा विभाग के पास सूचना तक नहीं भेजी है।                                                   db

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