.

.

Breaking News

News Update:

How To Create a Website

Saturday 4 January 2014

शिक्षा फर्जीवाड़ा


शिक्षा क्षेत्र में विभाग की कार्यशैली, मुस्तैदी और क्षमता की लगातार परीक्षा हो रही है। परीक्षा में नकलचियों, फर्जी परीक्षार्थियों के बाद अब स्कूलों में कक्षाओं का फर्जीवाड़ा सामने आने से हरियाणा स्कूल शिक्षा बोर्ड का चकित होना स्वाभाविक है। मामला वास्तव में बेहद गंभीर है जिसमें शिक्षा विभाग की नीतियों के छेद तो साफ नजर आ ही रहे हैं, विभागीय अकर्मण्यता-उदासीनता भी झलक रही है। दसवीं कक्षा तक मान्यता प्राप्त स्कूल ग्यारहवीं और बारहवीं के छात्रों को दाखिला दे रहे हैं और बाकायदा किसी अन्य स्कूल से परीक्षा दिलवा रहे हैं। शिक्षा बोर्ड को इस तरह की कई शिकायतें भी मिल चुकीं। शिक्षा बोर्ड और विभाग के नियमों की इस तरह धज्जियां उड़ाने का साहस निजी स्कूल संचालकों में कैसे आ गया, बात सहज रूप से समझ में नहीं आ रही। कहीं न कहीं मिलीभगत से पूर्णत: इन्कार नहीं किया जा सकता। यह किसी एक का फर्जीवाड़ा नहीं बल्कि कई स्तरों पर सामूहिक धांधली के बाद ही दाखिले से लेकर पढ़ाई और फिर परीक्षा की चेन जुड़ती है। ताज्जुब है कि विभाग व बोर्ड ने स्वत: संज्ञान नहीं लिया और शिकायत मिलने पर ही कार्रवाई के लिए मुस्तैद हुए। शिक्षा विभाग की कार्यशैली में तीव्र विरोधाभास दिखाई देता है। एक तरफ तो मान्यता के मुद्दे पर निजी स्कूल संचालकों को हर साल याचक भाव अपनाने को मजबूर किया जाता है, नियमों, सिद्धांतों का हवाला देकर घुटनों के बल रेंगने को विवश करने के बाद अंतत: एक और सत्र के लिए मोहलत दे दी जाती है। यह सिलसिला एक या दो साल से नहीं बल्कि एक दशक से चल रहा है। दूसरी तरफ इतना बड़ा घालमेल चल रहा है और शिक्षा बोर्ड व विभाग को पता ही नहीं चला। इस विरोधाभास को रोकना होगा। या तो मान्यता नीति को उदार बनाया जाए ताकि किसी फर्जीवाड़े की जरूरत ही न पड़े। यदि ऐसा न किया जा सके तो शिक्षा विभाग का तंत्र इतना प्रभावशाली बनाया जाए तो किसी भी अनियमितता को तत्काल पकड़ सके। निजी स्कूल फर्जीवाड़े से लाखों की कमाई कर रहे हैं क्योंकि उन्हें विभाग की कमजोरियों का पता है। मान्यता नियमों में एकरूपता भी रहनी चाहिए। अस्थायी मान्यता का सिलसिला बंद होना चाहिए क्योंकि यह अनियमितताओं का कारण बन रहा है। सभी मानक एकमुश्त पूरे करने पर स्थायी मान्यता दी जाए। मान्यता जैसा कोई मापदंड सरकारी स्कूलों पर भी तो लागू होना चाहिए।                                          dj

No comments:

Post a Comment

Note: only a member of this blog may post a comment.