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Wednesday 2 July 2014

डीईओ अौर डीईईओ की इजाजत के बिना शिक्षा निदेशालय नहीं जा सकेंगे शिक्षक

** गिरते शिक्षा के स्तर सरकारी स्कूलों में कार्यरत कर्मचारियों की मनमर्जी को रोकने की कवायद 
सरकारी स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों को अब शिक्षा निदेशालय पंचकूला जाने के लिए जिला शिक्षा या जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी की इजाजत लेनी अनिवार्य होगी। बिना इजाजत के वह शिक्षा निदेशालय नहीं जा सकेंगे। 
दरअसल गर्मियों की छुट्टियां खत्म हो गई हैं और स्कूल खुल चुके हैं। ऐसे में अब शिक्षा विभाग का एकमात्र लक्ष्य स्कूलों में गिरते शिक्षा स्तर को उठाना है। इस वर्ष सरकारी स्कूलों के 10वीं कक्षा के परीक्षा परिणाम ने शिक्षा विभाग को सोचने पर विवश कर दिया है। लिहाजा शिक्षा विभाग हर उस पहलू पर गहनता से मंथन कर रहा है जो बेहतरीन परीक्षा परिणाम में बाधक बन रहा है। इसमें शिक्षकों की लापरवाही फरलो भी शामिल हैं। लिहाजा शिक्षा विभाग ने शिक्षकों की फरलो मनमर्जी पर लगाम कसने के लिए नए आदेश जारी कर दिए हैं। टीएनए टेस्ट के विरोध के बाद शिक्षकों के रवैये पर अंकुश लगाने शिक्षा में सुधार के लिए शिक्षा विभाग ने यह कदम उठाया है। 29 मई को हुए टेस्ट के विरोध के बाद शिक्षा विभाग का यह अब तक का सबसे बड़ा कदम माना जा रहा है। निदेशालय जाने से पहले शिक्षकों सहित अन्य कर्मचारियों को जिला शिक्षा अधिकारी या मौलिक शिक्षा अधिकारियों से अनुमति लेनी होगी। ऐसा नहीं करने पर जिला शिक्षा अधिकारी जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी संबंधित शिक्षक या कर्मचारी के खिलाफ खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई कर सकता है। 
दिक्कतों को ध्यान में रखकर उठाया कदम
क्षेत्रीय कार्यालयों विद्यालयों में कार्यरत शिक्षक कर्मचारी अपने व्यक्तिगत अन्य कार्य के लिए शिक्षा निदेशालय जाते रहते हैं। निदेशालय के अनुसार कर्मचारी उच्च अधिकारियों से मिलने संबंधित शाखाओं में अपने या किसी अन्य अधिकारी या कर्मचारी के कार्य के संबंध में पूछताछ कर अनावश्यक रूप से सरकारी कार्य में व्यवधान डालते हैं, जिससे विभाग का कार्य भी काफी प्रभावित होता है। साथ ही विद्यार्थियों की शिक्षा भी बाधित हो जाती है। 
"शिक्षकों कर्मचारियों को निदेशालय जाने से पहले जिला शिक्षा अधिकारी जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी से अनुमति लेनी होगी। कोई भी कर्मचारी बिना अनुमति के निदेशालय नहीं जाएगा। यदि ऐसा होता है तो विभाग के आदेशानुसार अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है। यदि किसी कर्मचारी अधिकारी को काम भी है तो वह इसकी पूर्व सूचना पहले डीईईओ या डीईओ को देगा। उनकी अनुमति के बाद ही निदेशालय जाएगा।"--सुमन आर्य, जिला शिक्षा अधिकारी 
नए फरमान से ये सकती हैं दिक्कतें 
शिक्षा विभाग का यह नया फरमान बेशक निदेशालय विद्यार्थियों की दिक्कतों को दूर करने के लिए भेजा गया हो, लेकिन इससे शिक्षक गैर शिक्षक वर्ग की दिक्कतें बढ़ सकती हैं। शिक्षक गैर शिक्षक वर्ग का तर्क है कि कर्मचारी केवल तभी निदेशालय जाते हैं जब उनकी मांगें पूरी नहीं होती। यदि विभाग उनकी बातें जिला स्तर पर ही मान लें तो वह पंचकूला क्यों जाएं। ऐसे में इन नए आदेशों का कर्मचारी वर्ग कभी भी विरोध कर सकता है।                                       dbambl 



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