.

.

Breaking News

News Update:

How To Create a Website

Wednesday 1 October 2014

अधिक उम्र के कारण सरकारी स्कूलों ने नहीं दिया दाखिला

** दाखिले से वंचित छात्रों ने ली हाई कोर्ट की शरण
** अदालत ने दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर मांगा जवाब
नई दिल्ली : दिल्ली के सरकारी स्कूलों में अगर शिक्षा ग्रहण करनी हो तो उम्र अधिक मायने रखती है। सरकारी स्कूलों ने दो बच्चों को नौंवी में दाखिला देने से इसलिए मना कर दिया क्योंकि उनकी उम्र अन्य बच्चों से दो से तीन साल अधिक थी। दाखिला पाने से वंचित दोनों छात्रों ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। न्यायमूर्ति मनमोहन की खंडपीठ ने मामले को गंभीरता से लेते हुए दिल्ली सरकार व शिक्षा निदेशक को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। अब इस मामले की सुनवाई 24 नवंबर को होगी।
बिहार के बेगूसराय जिला निवासी मोहम्मद बशर आलम और गाजियाबाद के लोनी निवासी मोहम्मद नदीम ने हाई कोर्ट में अधिवक्ता अशोक अग्रवाल के माध्यम से याचिका दायर की है। उनका कहना है कि आलम ने बेगूसराय के सरकारी स्कूल से आठवीं कक्षा पास की। उसके पिता का दिल्ली तबादला हो गया, जिसके कारण उसे दिल्ली आना पड़ा। उसे वहां के सरकारी स्कूल से ट्रांसफर सर्टिफिकेट मिला था। उसने दिल्ली में रघुबीर नगर स्थित सरकारी स्कूल में दाखिले के लिए आवेदन किया। स्कूल ने नौंवी कक्षा में दाखिला देने से यह कहते हुए इन्कार कर दिया कि उसकी उम्र नौंवी कक्षा के बच्चों से दो साल ज्यादा है।
इसी तरह का मामला लोनी निवासी नदीम का भी है। आठवीं पास करने के बाद उसने दिल्ली के कई सरकारी स्कूलों में नौंवी में दाखिले के लिए आवेदन किया। स्कूलों ने यह कहते हुए दाखिला देने से मना कर दिया कि उसकी उम्र ज्यादा है। वह 15 साल का है, जबकि सरकारी स्कूलों के अनुसार नौंवी कक्षा में 13 साल तक का बच्चा लिया जाना चाहिए। अधिवक्ता अशोक अग्रवाल ने हाई कोर्ट के समक्ष कहा कि शिक्षा ग्रहण करने के लिए कोई उम्र सीमा सरकार ने तय नहीं की है। अधिक उम्र के आधार पर दाखिला देने से इन्कार कर सरकारी स्कूल बच्चों के शिक्षा के अधिकार का हनन कर रहे हैं। सरकार को निर्देश दिया जाए कि वह दोनों बच्चों को सरकारी स्कूलों में दाखिला दे।                                                 dj

No comments:

Post a Comment

Note: only a member of this blog may post a comment.