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Saturday 14 May 2016

बड़ी चूक: सरकारी स्कूलों में एजुसेट पर बच्चों को पढ़ाया जा रहा पुराना पाठ

** पूर्व पीएम मनमाेहन सिंह को योजना आयोग का अध्यक्ष और मोंटेक सिंह को उपाध्यक्ष दिखाया जा रहा 
सिरसा : शिक्षा विभाग की महत्वाकांक्षी योजना एजुसेट सिस्टम पर प्रदेशभर में सरकारी स्कूल के विद्यार्थियों को पुराना पाठ पढ़ाया जा रहा है। बीते शनिवार को एजुसेट पर योजना आयोग के बारे में पढ़ाया गया, जबकि वर्तमान केंद्र सरकार 2014 में योजना आयोग को खत्म कर, जनवरी 2015 में इसकी जगह नीति आयोग गठित कर चुकी है। 
एजुसेट पर प्रतिदिन विषय अनुसार टेलीकास्ट होता है। शनिवार को इकोनॉमिक्स विषय पढ़ाया गया। इसमें योजना आयोग के बारे में टेलीकास्ट के दौरान बताया कि योजना आयोग के अध्यक्ष प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह हैं, जबकि उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया। योजना आयोग के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। 
90 करोड़ आई थी लागत 
शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए शिक्षा विभाग ने वर्ष 2007 में प्रदेश में 9 हजार एजुसेट सिस्टम 90 करोड़ रुपए की लागत से लगाए थे। तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह ने हिसार में एजुसेट सिस्टम का 19 मई 2007 को उद्घाटन किया। एजुसेट चलाने को सरकार ने एक सोसायटी गठित की है। इसका संचालन पंचकूला से एससीईआरटी के सहयोग से हो रहा है। 
एससीईआरटी करती है प्रसारण 
प्रसारित होने वाले कार्यक्रम का टाइम टेबल सिलेबस एससीईआरटी यानी राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद करता है। एससीईआरटी ही कार्यक्रम की सूची बनाकर उत्कर्ष सोसायटी को देता है। इस गलती की जांच के लिए उत्कर्ष सोसायटी के जीएम नीरज वर्मा ने आदेश दिए हैं, ताकि जिम्मेदार कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई की जा सके। 
नोट : प्रसारितहोने वाले कार्यक्रम का टाइम टेबल सिलेबस बनाता है एससीईआरटी। 
2007 में 90 करोड़ खर्च कर प्रदेशभर में लगाए थे नौ हजार एजुसेट। 
2012 में कैग की रिपोर्ट में खुलासा 10,082 में से 5,779 एजुसेट आउट ऑफ ऑर्डर। 
2014 में योजना आयोग खत्म करने के बावजूद स्कूल में पढ़ाया जा रहा है। 
2015 में योजना आयोग की जगह नीति आयोग हो चुका है गठित। 
पुराना प्रसारण चलाते हैं, कोई लाभ नहीं : शिक्षक 
"एजुसेटपर 7 मई को भी पुराना प्रसारण हुआ। विद्यार्थियों को अक्सर पुराना सिलेबस पढ़ाया जाता है, जिसका कोई लाभ नहीं है। मेरा मानना है कि एजुसेट सिस्टम को बंद कर देना चाहिए, क्योंकि करोड़ों का नुकसान हो रहा है और लाभ कुछ नहीं। इन करोड़ों रुपयों से पुस्तकें उपलब्ध करा दी जाएं तो छात्रों को ज्यादा लाभ होगा। "-- करतार सिंह, शिक्षक, अंग्रेजी विषय, राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल, जोधकां 
70 % एजुसेट सिस्टम बंद 
शुरुआत में 9 हजार एजुसेट सिस्टम शुरू किए। विस्तार करते हुए 10 हजार से अधिक सिस्टम लगाए गए। अब 70 प्रतिशत से अधिक सिस्टम सिग्नल तकनीकी खराबी के कारण बंद पड़े हैं। बैटरियां डेड हो चुकी हैं। वर्ष 2012 में कैग की रिपोर्ट में सामने आया कि 10 हजार 82 एजुसेट में से 5 हजार 779 एजुसेट सिस्टम आउट ऑफ आर्डर हैं। हालांकि अधिकारी फंक्शनल की परिभाषा देते हुए हैं कि यदि उन्हें बिजली सप्लाई मिले तो शुरू हो जाएंगे। कोई खराब की नहीं है।                                                             db

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