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Thursday, 29 November 2012

सेमेस्टर प्रणाली के खिलाफ फिर बजा बिगुल


रेवाड़ी.  शिक्षा के बोझ को सहज व कम करने के लिए लागू की गई सेमेस्टर प्रणाली अब विद्यार्थियों व  शिक्षकों को रास नहीं आ रही है। लगातार इस प्रणाली का विरोध करने के बाद भी अमल नहीं होने पर शिक्षकों ने अब आर-पार लड़ाई का ऐलान कर दिया है।
 शिक्षक संगठनों ने स्पष्ट तौर से चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने अप्रैल 2013 से इस प्रणाली को खत्म करने का जल्द ऐलान नहीं किया तो जल्द ही प्रदेश स्तर पर धरना प्रदर्शन के साथ हरियाणा भिवानी एजुकेशन बोर्ड का घेराव किया जाएगा।  
 सेमेस्टर प्रणाली के कमजोर आ रहे परिणामों को लेकर विभिन्न शिक्षक संगठनों ने रिपोर्ट तैयार की है जिसे दोबारा मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री को भेजा गया है। शिक्षक संगठनों का तर्क है कि पिछले तीन सालों से चल रही सेमेस्टर प्रणाली ने शिक्षा के स्तर को बजाय बेहतर करने के कमजोर कर दिया है। जिसके परिणामों की रिपोर्ट शिक्षा विभाग को भेजी जा चुकी है।  
बहुत हो चुका, जल्द करेंगे धरना-प्रदर्शन :
हरियाणा स्कूल लेक्चरर एसोसिएशन लगातार 2008 से इस प्रणाली का विरोध करती आ रही है। एसोसिएशन के पूर्व प्रांतीय अध्यक्ष अनिल यादव के मुताबिक विभाग के उच्च अधिकारियों से लेकर मुख्यमंत्री के संज्ञान में नए सिरे से इस प्रणाली से कमजोर होती शिक्षा प्रणाली से अवगत कराया जाएगा।
 हम चाहते हैं कि सरकार दिसंबर माह तक यह स्पष्ट कर दें कि वह अप्रैल 2013 में नए शिक्षा सत्र से सेमेस्टर प्रणाली को लागू नहीं करेगी। अगर ऐसा नहीं हुआ तो प्रदेश के हजारों शिक्षक जिला व राज्य स्तर पर धरना प्रदर्शन के साथ साथ हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड का घेराव करेंगे।
क्या है शिक्षकों की मांग :
एसोसिएशन की मांग है कि परीक्षाएं पद्धति वार्षिक यानि एकल होनी चाहिए। इससे विद्यार्थी पढ़ाई के सबसे अनुकुल सितंबर से दिसंबर मध्यांतर तक के समय में परीक्षाओं की अच्छी तैयारी कर पाए। पुरानी शिक्षा पद्धति बेहतर रही है। उसी को नए सिरे से लागू होना चाहिए।
इस तरह बताया प्रणाली को गलत :  
शिक्षकों द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट के मुताबिक इस प्रणाली के तहत साल में दो बार एग्जाम होते हैं। 
अप्रैल में दाखिला प्रक्रिया शुरू होती है। मई में गर्मी इतनी बेतहाशा होती है कि शिक्षा विभाग जून की ग्रीष्मकालीन छुट्टियों के बाद भी जुलाई-अगस्त तक दाखिला प्रकिया को चालू रखता है। 
सितंबर के मध्यांतर में प्रथम सेमेस्टर की परीक्षाएं शुरू हो जाती है। जिसके समापन के बाद 15 दिनों तक मार्किग चलती है।
अक्टूबर माह इस प्रक्रिया में गुजर जाता है। नवंबर वर्ष का ऐसा महीना होता है जो पूरी तरह से फेस्टीवल सीजन होता है। इस माह का एक चौथा हिस्सा छुट्टियों में चला जाता है। 
20 दिसंबर तक पढ़ने का समय मिलता है। उसके बाद सर्दी की धुंध अपना असर दिखाना शुरू कर देती है। 
15 जनवरी तक इसका असर रहता है। अधिकांश सरकारी स्कूलों में बिजली की समस्या के कारण पढ़ाई पूरी तरह से बाधित रहती है। 
फरवरी माह पढ़ाई के लिए मिलता है और मार्च में सेमेस्टर की फाइनल परीक्षा होती है।
रिपोर्ट में इस प्रणाली के दूसरे बड़े  दुष्प्रभाव को भी उल्लेखित किया गया है जिसमें बताया गया है कि इस प्रणाली से विद्यार्थी पूरे साल में एक विषय को पूरी तरह से रिवाइज नहीं कर पाता है। पहले सेमेस्टर के बाद वह शेष रह गए सिलेबस को पूरा करने की तैयारी में जुट जाता है। नतीजा पीएमटी व ट्रिपल आईटी के राष्ट्रीय स्तर की परीक्षाओं में सिलेबस की आधी अधूरी जानकारी के कारण पोजीशन लेने से रह जाता है।

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