चंडीगढ़ : पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हरियाणा सरकार व निदेशक मौलिक शिक्षा विभाग को नोटिस जारी किया है।जींद निवासी बिजेंद्र सिंह की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार शिक्षा के अधिकार को सही ढंग से लागू नहीं कर रही है। याचिकाकर्ता के वकील आरएस ढुल ने कहा कि इस नियम के तहत छह से चौदह वर्ष के बच्चों को निशुल्क व जरूरी शिक्षा उपलब्ध करवाना सरकार का कर्तव्य बनता है। याचिकाकर्ता के अनुसार नियमानुसार एक कक्षा में 35 से ज्यादा छात्र नहीं होने चाहिए लेकिन हरियाणा शिक्षा विभाग ने एक कक्षा में 50 के करीब छात्र का अनुपात तय किया हुआ है। इस नियम के तहत विज्ञान, सामाजिक, हिंदी के जितने भी सप्ताह के लिए पीरियड तय किए गए थे, सरकार ने वो भी कम कर दिए। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि प्रदेश के मुख्यमंत्री ने घोषणा की थी कि सभी मिडल स्कूलों में हेडमास्टर नियुक्त किए जाएंगे लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हो पाया है। याचिकाकर्ता के अनुसार स्कूलों में पर्याप्त टीचर नहीं हैं। इस कारण शिक्षा का अधिकार बेमानी साबित हो रहा रहा है। खंडपीठ ने इस मामले में सभी प्रतिवादी पक्ष को 3 दिसंबर के लिए नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
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News Update:
*** Supreme Court Dismissed SLP of 719 Guest Teachers of Haryana *** यूजीसी नहीं सीबीएसई आयोजित कराएगी नेट *** नौकरी या दाखिला, सत्यापित प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं *** डीडी पावर के लिए हाईकोर्ट पहुंचे मिडिल हेडमास्टर *** बच्चों को फेल न करने की पॉलिसी सही नहीं : शिक्षा मंत्री ***
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