हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग द्वारा 2010 में भर्ती किए गए पीटीआई टीचर की हाईकोर्ट की सिंगल बैंच द्वारा नियुक्ति रद करने के खिलाफ पीटीआई टीचर व हरियाणा सरकार की अपील पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस एके सिकरी की खंडपीठ ने इस मामले में अपील करने वाले पक्ष को कहा है कि वह इस मामले में एकल बैंच में याचिका दायर करने वाले सभी याचिकाकर्ता को प्रतिवादी बनाए। हाईकोर्ट इस मामले में एकल बैंच में याचिका दायर करने वाले सभी 68 याचिकाकर्ता का पक्ष सुनने के बाद अपना निर्णय देगा। इसी के साथ खंडपीठ ने इस मामले पर सुनवाई 18 दिसंबर के लिए स्थगित कर दी। मामले की अगली सुनवाई तक पीटीआई टीचरों पर यथास्थिति बनी रहेगी। इस मामले में याचिकाकर्ता पक्ष की तरफ से एकल बैंच के फैसले को गलत ठहराते हुए डिविजन बैंच से इस पर रोक लगाने की मांग की गई है। पीटीआई की तरफ से कहा गया कि एकल बैंच ने उनका पक्ष सुने बगैर की इतना बड़ा फैसला सुना दिया। याचिकाकर्ता के वकील ने एकल बैंच द्वारा उसी टिप्पणी पर भी सवाल उठाया जिसमें कहा गया था कि यह भर्ती एक व्यक्ति के इशारे पर की गई है। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने दो लोगो को मानसिक रूप से परेशान करने पर हुडा को 15 लाख रुपये व दोषी एस्टेट आफिसर को दो लाख का जुर्माना लगाते हुए यह राशी पीर्डित को देने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने यह आदेश पानीपत निवासी परमीदंर व कुलवींद्र द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए जारी किया। इस मामले में हुडा ने परमींद्र की जमीन का एक्वायर करे बगैर उसको कुलवींद्र को अलाट कर दी। हुडा के इस कदम से दोनो पक्ष मानसिक रूप से परेशान थे। हाईकोर्ट ने हुडा को दस लाख रूपये परमींद्र कके व पांच लाख रूपये कुलवींद्र को देने का आदेश दिया। जिन अधिकारियों की गलती से यह हुआ कोर्ट ने उन अधिकारियों को भी दो लाख का जुर्माना लगाते हुए यह राशी परमींद्र को देने का आदेश दिया। पंजाब एंव हरियाणा हाईकोर्ट ने 11 सितंबर को हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग द्वारा नियुक्ति किए गए 1983 पीटीआई टीचरों की नियुक्ति को रद कर दिया था। हरियाणा स्टाफ सेलेक्शन क मीशन ने 10 अप्रैल 2010 को फाइनल सेलेक्शन लिस्ट जारी कर ये नियुक्तियां की थी। हाईकोर्ट ने कमीशन को निर्देश जारी किए थे कि आयोग नियमों के तहत नए सिरे से भरती शुरू करे और पांच महीने के अंदर इस भरती प्रRिया को पूरा कर लिया जाए। हाईकोर्ट ने कहा कि नियुक्ति प्रक्रिया के दौरान साक्षात्कार होल्ड करवाने वाले आयोग की सेलेक्शन कमेटी के सदस्यों द्वारा कार्यवाहियों में शामिल न होने से आयोग की नाकारात्मक छवि को उजागर करता है। हाईकोर्ट ने कहा कि दस्तावेज खुलासा करते हुए एक बिंदु की तरफ इशारा करते हैं कि यह नियुक्तियां आयोग के निर्धारित नियमों के तहत नहीं हुई है और इन्हें गैरकानूनी कहलाना गलत नहीं है। खंडपीठ ने इस मामले में कमीशन के कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते यह तक कहा कि बहुसदस्यीय कमीशन होने के बाद भी कार्यप्रणाली से ऐसा लगता है कि यह सब एक व्यक्ति के कहने से चल रहा है। कोर्ट ने कमीशन के चेयरमैन व सदस्यों पर भी टिप्पणी की।
Source:HariBhoomi,23.11.12
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