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Saturday, 24 November 2012

8706 जेबीटी टीचरों की भर्ती पर खतरा


प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 2010 में हुई 8706 जेबीटी अध्यापकों की भर्ती पर संकट के बादल मंडराते नजर आ रहे हैं। हाईकोर्ट के आदेश पर कराई गई जांच में 54 स्टैट पास धारकों में से 21 उम्मीदवारों के अंगूठे के निशान का मिलान नहीं हुआ है। इस चौंकाने वाले रिजल्ट ने स्टेट मामले की जांच में तेजी ला दी है। हाई कोर्ट ने प्रदेश के सभी स्टेट पास पात्रों के अंगूठे के निशान की जांच के आदेश दे दिए हैं।

शुक्रवार को शिक्षा बोर्ड मुख्यालय में फोरेंसिक लैब मधुबन की टीम को लेकर शिक्षा निदेशालय के अधिकारी पहुंच गए हैं। प्रथम चरण में भिवानी के उम्मीदवारों के अंगूठे के निशान की जांच होगी। इसके बाद अन्य जिलों के उम्मीदवारों को संबंधित जिला शिक्षा अधिकारी लेकर भिवानी पहुंचेंगे।

प्रवीण कुमारी बनाम हरियाणा सरकार के केस में हाई कोर्ट के आदेश पर शिक्षा विभाग ने 54 उम्मीदवारों के अंगूठे के निशानों का मिलान कराया था। आधिकारिक सूत्र बताते हैं कि फोरेसिंक जांच टीम ने अगस्त 2012 में इसकी रिपोर्ट सौंप दी। इसमें पाया है कि 54 में से 21 उम्मीदवारों के अंगूठे के निशान नहीं मिले हैं। इस रिपोर्ट से जाहिर है कि स्टेट परीक्षा में फर्जी परीक्षार्थी बैठे थे। केवल 8 उम्मीदवारों के अंगूठे के निशान ही सही पाए गए। शेष 25 उम्मीदवारों का पूरा रिकार्ड न होने के कारण रिजल्ट पेंडिंग है। इस रिपोर्ट के आधार पर हाई कोर्ट ने मौलिक शिक्षा निदेशालय को सभी स्टैट पास की जांच के आदेश दे दिए हैं।

तीन माह तक जांच का अनुमान

हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड ने 2008 में एक बार और 2009 में दो बार स्टैट की परीक्षा संचालित कराई थी। अब हाईकोर्ट के आदेश पर तीनों ही परीक्षाओं में पास उम्मीदवारों के अंगूठों के निशान मिलाए जाएंगे।

प्रथम चरण में भिवानी जिले के उम्मीदवारों के अंगूठे के निशान की जांच शुरू की गई है। यह जांच लगभग तीन माह तक चलने का अनुमान है। अधिवक्ता जसवीर मोर ने कहा कि शिक्षा बोर्ड के प्रोस्पेक्टस के अनुसार अंगूठे के निशान लिए जाने थे, लेकिन बोर्ड ने अंगूठे के निशान लिए ही नहीं। दिसंबर 2010 में कविता कुमारी के नाम से याचिका डाली थी। कोर्ट ने मौलिक शिक्षा निदेशक को जांच के आदेश दिए थे और चार माह में रिपोर्ट देने को कहा। रिपोर्ट नहीं दी गई। इसके बाद सीडब्ल्यूपी 3 आफ 2011 प्रवीण कुमारी एंड अदर्स वर्सिज स्टेट आफ हरियाणा याचिका डाली गई। इस याचिका में बताया गया कि बिना जांच के ही हरियाणा सरकार ने 8706 जेबीटी अध्यापकों को नियुक्तियां दे दी हैं। हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को एक लाख रुपये की सुरक्षा राशि के आधार पर जांच के आदेश दिए।

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