पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने अपने एक फैसले में अतिथि अध्यापकों की सेवाएं 31 दिसंबर 2012 से ही समाप्त करने का आदेश दिया है। उच्च न्यायालय ने 4 दिसंबर के इस फैसले में यह भी कहा है कि यदि अनीता बनाम हरियाणा सरकार के मामले में सर्वोच्च न्यायालय कोई फैसला देता है तो याचिकाकर्ता दोबारा उच्च न्यायालय आ सकते हैं। अब अतिथि अध्यापकों को सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का इंतजार रहेगा।
सर्वोच्च न्यायालय ने अपने 30 मार्च 2012 के आदेश में एसएलपी नं. 5956/2012 के तहत अतिथि अध्यापकों की सेवाएं 31 दिसंबर 2012 को समाप्त करने का फैसला सुनाया था। इस फैसले के बाद 19 मार्च 2012 को स्कूल शिक्षा विभाग की वित्तायुक्त एवं प्रधान सचिव ने सुप्रीम कोर्ट में एक शपथ पत्र दिया था। इस शपथ पत्र में कहा गया कि शिक्षकों की भर्ती तय समय सीमा में कर दी जाएगी। इसी दौरान बिजेंद्र कुमार व अन्य ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर दी। इस याचिका पर उच्च न्यायालय ने 10 सितंबर 2012 को अपने फैसले में अतिथि अध्यापकों की सेवाएं समाप्त करने का आदेश सरकार को दिया था।
उधर राजकीय विद्यालयों के मुखिया असमंजस में हैं कि अतिथि अध्यापकों की स्कूल में उपस्थित दर्ज कराएं या नहीं क्योंकि सरकार की ओर से इस संबंध में कोई आदेश जारी नहीं किया गया है। राजकीय अध्यापक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष जवाहरलाल गोयल ने कहा कि सरकार अतिथि अध्यापकों को गुमराह कर रही है।
इस बारे में मैं कोई जानकारी नहीं दे सकता : यादव: मौलिक शिक्षा निदेशक डॉ. अभय यादव ने कुछ बताने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि वे संबंध में कोई जानकारी नहीं दे सकते।
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