मंत्री गीता भुक्कल ने कहा है कि अगर किसी बच्चे को बचपन में ही पता चल जाए कि वह आठवीं कक्षा तक फेल नहीं होगा तो वह वो किताबी ज्ञान हासिल नहीं कर सकेगा जो भविष्य में कॅरिअर बनाने में उसके काम आ सकता है। ऐसे में कक्षा पांच और आठ को बोर्ड परीक्षा में शामिल किया जाना जरूरी है।
रविवार को अपने निवास पर पत्रकारों से चर्चा में उन्होंने कहा कि पांचवीं व आठवीं में बोर्ड नहीं बनाना उनके हिसाब से बच्चों के नैसर्गिक विकास के साथ भेदभाव है। लिहाजा राज्य सरकार फिर इन कक्षाओं को बोर्ड परीक्षा में शामिल करने का पूरा प्रयास करेगी।
भुक्कल ने कहा कि स्कूलों में पढ़ाई का स्तर सुधारने के लिए पिछले दिनों नई दिल्ली में देशभर के शिक्षामंत्रियों के सम्मेलन में भी उन्होंने यह बात उठाई थी कि सतत मूल्यांकन के साथ-साथ पांचवीं व आठवीं में बोर्ड जैसी परीक्षा होनी चाहिए। शिक्षा से जुड़े केंद्रीय सलाहकार बोर्ड (केब) की बैठक में उन्होंने शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई) लागू करने की समय-सीमा बढ़ाने की वकालत भी की थी। उन्होंने कहा कि स्कूलों में पहली से आठवीं तक के बच्चों को किताबें बहुत जल्द मिल जाएंगी। ...DB
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