स्कूलों में छात्रों को ‘मिड डे मील’ योजना के तहत दिए जाने वाले भोजन में बढ़ती शिकायतों का संज्ञान लेते हुए एक संसदीय समिति ने बच्चों के बीच डिब्बा बंद खाना वितरित करने का सुझाव दिया है।
मानव संसाधन विकास पर संसद की स्थायी समिति ने मंत्रलय को कहा है कि वह योजना के मानकों व स्तर के अनुरूप पैकेट में बंद आहार उपलब्ध कराने की संभावना खोजे। व्यावहारिकता को परखने के लिए प्रारंभ में प्रायोगिक तौर पर इसे कुछ चुने हुए जिलों में आजमाया जा सकता है। स्कूलों में बच्चों के लिए जो भोजन पकाए जाते हैं वे स्वास्थ और गुणवत्ता की दृष्टि से जांच के घेरे में हैं। राज्यसभा सदस्य ऑस्कर फर्नाडिस की अध्यक्षता वाली इस समिति ने कहा है, ‘रपटों से संकेत मिलता है कि इस कार्यक्रम के तहत दिल्ली में भी स्कूलों में बच्चों को जो भोजन मुहैया कराया जाता है उसकी गुणवत्ता में सुधार की जरूरत है तब दूरदराज के इलाकों में क्या स्थिति हो सकती है, इसकी कल्पना की जा सकती है। समिति ने उस कार्य समूह की ओर भी ध्यान दिलाया है जिसने शिक्षकों, खाना बनाने वाले व सहायकों को प्रशिक्षण देने और अन्य चीजों के अलावा खाद्य सुरक्षा की नियमित निगरानी के लिए फूड एवं नूटिशन बोर्ड को राजी करने का सुझाव दिया था।
इस कमेटी की एक खास चिंता यह है कि शिक्षा के अधिकार कानून के तहत सैकड़ों स्कूलों में रसोई घर और स्टोर सहित कई जरूरी बुनियादी सुविधाएं ही नहीं हैं। इन सबको पूरा करने की अंतिम तिथि 31 मार्च को ही समाप्त हो गई। मंत्रलय की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2006-07 और 2012-13 के बीच 9.55 लाख किचन सह स्टोर बनाने की मंजूरी दी गई लेकिन इनमें केवल 5.99 लाख यानी 63 फीसद का ही निर्माण हो पाया। समिति ने कहा है कि राज्य सरकारें जल्द से जल्द रसोई घर निर्माण कराने का काम करें इसके लिए केंद्र के स्तर से प्रयास किया जाना चाहिए। DJ
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