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Tuesday, 14 May 2013

रेशनेलाइजेशन के तहत स्कूलों में अध्यापकों और बच्चों का अनुपात समान किया जाएगा


कैथल : सरकारी स्कूलों में अध्यापकों की कमी को पूरा करने के लिए शिक्षा विभाग ने नई योजना तैयार की है। इस योजना के तहत सरकारी स्कूलों में अध्यापकों की कमी पूरी करने के लिए नजदीकी स्कूलों से अध्यापकों का ट्रांसफर होगा। 
लंबे समय से अध्यापकों की चल रही कमी में जहां सुधार होगा वहीं स्कूलों में पढ़ाई का स्तर भी सुधरेगा। स्कूलों में बच्चों को सभी विषयों के अध्यापक पढ़ाने के लिए उपलब्ध होंगे। शिक्षा विभाग पंचकूला के निदेशक के निर्देश पर डीईओ ने जिले के सभी बीईओ और स्कूल प्रिंसीपल से स्कूल अध्यापकों और बच्चों की संख्या के बारे में रिपोर्ट मांगी है। 
बीईओ व स्कूल प्रिंसिपल से मांगी रिपोर्ट : जिला शिक्षा विभाग निदेशक ने इस बाबत डीईओ, बीईओ व स्कूल प्रिंसिपल की बैठक ली थी। इस बैठक के बाद हुुई चर्चा के बाद डीईओ ने आदेश दिया कि सरकारी स्कूल में बच्चों की संख्या और अध्यापकों की संख्या के बारे में विस्तार से जिला शिक्षा विभाग में जानकारी पहुंचाई जाए। 
शहर के स्कूलों में अध्यापकों की संख्या ग्रामीण स्कूलों की अपेक्षा अधिक है। ऐसा शहरी सुविधाओं के कारण है। गांवों में पहुंचने वाले अध्यापक अक्सर लेट हो जाते हैं। इसका बच्चों पर भी बुरा असर पड़ता है। हर अध्यापक अपनी पहुंच के अनुसार नजदीकी स्टेशन पर ही अपनी ड्यूटी करना चाहता है। ज्यादातर अध्यापक नजदीकी स्टेशनों पर बदली कराने में सफल हो जाते हैं। लेकिन नई नीति के तहत दूर से आने वाले अध्यापकों को नजदीकी स्टेशन मिल सकता है। 
जिला शिक्षा अधिकारी जसबीर सिंह ने कहा कि जिले के कुछ स्कूलों में बच्चों के अनुपात से अध्यापकों की संख्या अधिक है। इसी प्रकार कहीं अध्यापकों की संख्या से बच्चों की संख्या अधिक है। इस कमी को जल्द पूरा किया जाएगा। जिले के सभी बीईओ व प्रिंसीपल से बच्चों के विषय के अनुसार संख्या और अध्यापकों की संख्या के बारे में विस्तार से जानकारी देने के लिए कहा गया है। 
रेशनेलाइजेशन के तहत स्कूलों में अध्यापकों और बच्चों का अनुपात समान किया जाएगा। इसके लिए एक नीति बनाई जा रही है। जिन स्कूलों में अध्यापकों की संख्या अधिक है। उनमें से कुछ अध्यापकों को उन स्कूलों में बदला जाएगा जहां पर अध्यापकों की कमी है। इसके अलावा बच्चों की संख्या को पूरा करने के लिए भी सेक्शन बनाएं जाएंगे। ताकि अध्यापक समान संख्या में बच्चों को पढ़ा सकें। इससे बच्चों में पढाई की गुणावत्ता में भी सुधार होगा। 
बीईओ व स्कूल प्रिंसीपल हर विषय के अध्यापकों की संख्या के बारे में बताएंगे। इसके साथ ही हर विषय के अनुसार ही स्कूल में पढऩे वाले बच्चों की संख्या भी बतानी होगी। ताकि बच्चों व अध्यापकों की संख्या के अनुसार ही अगली नीति बनाई जा सके। जिले के दर्जनों स्कूलों में कहीं अध्यापकों के अनुपात से बच्चों की संख्या अधिक है तो कहीं बच्चों के अनुपात से अध्यापकों की संख्या अधिक है। ज्यादातर अध्यापक अपना स्टेशन नहीं छोडऩा चाहते। ऐसे में एक स्कूल में ही अध्यापकों की संख्या कई गुणा अधिक है। 
सरकारी स्कूलों में पर्याप्त अध्यापक नहीं है। इस बात का शिक्षा अधिकारियों को भी पता है। अध्यापकों की कमी के कारण बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है। कई स्कूलों में एक अध्यापक को ही एक साथ कई विषयों को पढ़ाना पड़ रहा है। इसका प्रभाव बच्चों की शिक्षा पर भी पड़ रहा है। स्कूल प्रबंधक समितियां भी शिक्षा अधिकारियों को अध्यापकों की कमी पूरी करने के लिए कई बार लिख चुकी हैं। लेकिन अभी तक सरकारी स्कूलों में अध्यापकों की कमी पूरी नहीं हुई।       ...DB

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