भले ही कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ने छात्रों की मांग पर अंक बढ़ाने के लिए पूर्व विद्यार्थियों को दो मर्सी चांस देने का निर्णय लिया हो, लेकिन कुवि प्रशासन इसके बदले मोटा मुनाफा कमाने के फेर में नजर आ रहा है। जिससे विश्वविद्यालय को लाखों रुपयों की राशि मिल सकती है। कुवि प्रशासन की ओर से एक बार आवेदन करने के लिए दस हजार रुपये की फीस निर्धारित की है। कुवि के इस फैसले पर छात्र संगठनों ने आपत्ति दर्ज कराई है। 1पिछले काफी समय से पूर्व छात्र कुवि प्रशासन से अंक बढ़ाने के लिए एक गोल्डन मर्सी चांस की मांग कर रहे थे। जिसके बाद कुवि प्रशासन ने पिछले दिनों हुई कार्यकारिणी परिषद में इस फैसले को अमलीजामा पहना दिया। प्रशासन की ओर से दिए गए मर्सी चांस में कुवि से स्नातकोत्तर किए गए छात्र परीक्षा दे सकते हैं। सत्र 2013-14 और सत्र 2014-15 में छात्रों को यह छूट प्रदान की जाएगी, लेकिन कुवि प्रशासन ने इस साहसी फैसले के साथ ही इससे मोटी कमाई करने का मन बना लिया है। कुवि प्रशासन की ओर से जारी नोटिफिकेशन के अनुसार इस मर्सी चांस के लिए दस हजार रुपये फीस निर्धारित की है। जिसको भर कर अंक बढ़ाना हर व्यक्ति के बस से बाहर है। कई विद्यार्थियों को जहां इस चांस के बाद खुशी हुई थी उनकी फीस की जानकारी के बाद खुशी काफूर हो गई। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के विश्वविद्यालय अध्यक्ष अजय राणा, इनसो जिलाध्यक्ष सुनील राणा, एसएफआई के जिला अध्यक्ष अमन सैनी आदि ने बताया कि यह छात्रों पर अनावश्यक बोझ है। जब कुवि प्रशासन ने प्राईवेट आवेदन करने पर केवल आठ सौ रुपये लेता है तो मर्सी चांस देने के लिए इतने मोटे पैसे क्यों लिए जा रहे हैं। निजी विवि की तरह स्टेट यूनिवर्सिटी होते हुए भी शिक्षा का बाजारीकरण कर रहा है।
दूरवर्ती निदेशालय की फीस से भी ज्यादा :
कुवि से ही दूरवर्ती निदेशालय से स्नातकोत्तर करने के लिए प्रति वर्ष छह से सात हजार रुपये की फीस ही जमा करानी होती है। इतनी फीस लेने के बाद भी कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के लिए दूरवर्ती निदेशालय सबसे अधिक कमाने वाला संस्थान माना जाता है। जबकि कुवि प्रशासन ने गोल्डन मर्सी चांस के लिए निर्धारित फीस ही दस हजार रुपये निर्धारित की है। ..DJ
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