** हाई कोर्ट ने एकल पीठ के आदेशों के खिलाफ हरियाणा सरकार की अपील खारिज की
** एकल पीठ ने कहा था, अतिथि शिक्षकों के पदों को रिक्त मानकर नियमित शिक्षकों के तबादले हों
चंडीगढ़ : अतिथि शिक्षकों को झटका देते हुए हरियाणा सरकार ने यह स्वीकार कर लिया है कि नियमित शिक्षकों के तबादलों के मुददे पर विभिन्न जिलों में अतिथि शिक्षकों के पदों को रिक्त माना जाएगा। राज्य सरकार ने हाई कोर्ट में दायर जवाब में कहा है कि हरियाणा में शिक्षकों के तबादले अब नई ऑनलाइन नीति के तहत किए जाएंगे। 14 अगस्त से अपनाई गई इस नीति के तहत अंतरजिला तबादलों के लिए अतिथि शिक्षकों द्वारा भरे गए शिक्षकों के पदों को रिक्त माना जाएगा। प्राथमिक शिक्षा विभाग के निदेशक द्वारा दायर जवाब के बाद मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति अरुण पल्ली की खंडपीठ ने हरियाणा सरकार की एकल पीठ के खिलाफ दायर अपील को खारिज कर दिया।
हाई कोर्ट की एकल पीठ ने पिछले वर्ष 10 नवंबर के फैसले में कहा था कि राज्य में अतिथि शिक्षकों के पदों को रिक्त मानते हुए शिक्षकों के तबादलों पर विचार किया जाए। अपने फैसले में एकल पीठ ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के आदेशों के बावजूद राज्य सरकार अतिथि शिक्षकों को नहीं हटा रही है। इस कारण नियमित शिक्षक अपने गृह जिलों में नियुक्ति पाने में सफल नहीं हो पाते।
इस मामले में हाई कोर्ट में दायर याचिकाओं में कहा गया था कि शिक्षा विभाग नियमित शिक्षकों की बजाय अतिथि शिक्षकों को ज्यादा वरीयता देता है। इन याचिकाओं पर हाई कोर्ट ने हरियाणा शिक्षा विभाग के मार्च 2010 के उन आदेशों को रद कर दिया था ,जिनमें कहा गया था कि अतिथि शिक्षकों की तैनाती वाले पदों को रिक्त नहीं माना जा सकता और इन पदों पर नियमित शिक्षकों की नियुक्ति नहीं होगी।
एकल पीठ ने कहा था कि अतिथि शिक्षकों के पदों को रिक्त माना जाये और इन पदों पर नियमित शिक्षकों के तबादले किये जाएं। जिन भी नियमित शिक्षकों ने इंटर डिस्टिक्ट तबादलों के लिए आवेदन किए हैं उनके आवेदनों पर सरकार हाई कोर्ट के आदेशों के तहत तीन महीनों में विचार कर फैसला ले। एकल पीठ के इन आदेशों के खिलाफ हरियाणा सरकार ने हाई कोर्ट में अपील दायर की थी जिसे वीरवार को खारिज कर दिया गया।
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