** पहले चरण में दो लाख से ज्यादा स्कूलों से होगी शुरुआत, केंद्र ने जारी की 164 करोड़ की राशि
नई दिल्ली : छोटी बच्चियों के साथ अमानवीय तरीके से घटित होने वाली दुष्कर्म की घटनाओं को देखते हुए सभी सरकारी स्कूलों में लड़कियों के लिए आत्मरक्षा से जुड़े प्रशिक्षण को अनिवार्य बनाने का फैसला लिया गया है। यह ट्रेनिंग कक्षा एक से 12वीं तक पढ़ने वाली सभी बालिकाओं को दी जाएगी। पहले चरण में इस योजना के तहत देश भर के करीब 2.11 लाख स्कूलों को शामिल किया गया है। इनमें करीब 1.34 लाख प्राथमिक स्कूल भी शामिल हैं। खासबात यह है कि स्कूली शिक्षा से जुड़ी केंद्र की तमाम बैठकों का बहिष्कार करने वाले पश्चिम बंगाल को भी इस योजना में प्रमुखता से शामिल किया गया है।
केंद्र ने बालिकाओं को प्रशिक्षण दिलाने की इस योजना के तहत राज्यों को 164 करोड़ रुपये से ज्यादा की वित्तीय मदद भी जारी कर दी है। वहीं योजना के तहत स्कूलों में साल में कम से कम दो बार एक-एक हफ्ते की विशेष ट्रेनिंग दिलाई जाएगी। इनमें जूड़ो-कराटे और मार्शल आर्ट के तहत बचाव से जुड़ी ट्रेनिंग दी जाएगी। इसके अलावा स्कूलों में प्रतिदिन होने वाले खेलकूद और शारीरिक व्यायाम की गतिविधियों में भी इसे शामिल किया जाएगा। स्कूलों में इसके पाठ भी पढ़ाएंगे। जिसमें बच्चों को ‘गुड टच और बैड टच’ के बारे में भी समझाया जाएगा।
मंत्रलय की ओर से जारी दिशा-निर्देश में स्कूलों को आत्मरक्षा के प्रशिक्षण के लिए क्षेत्र के पुलिस थानों से भी मदद लेने की सुझाव दिया गया है। मौजूदा समय में आत्मरक्षा के प्रशिक्षण की व्यवस्था सिर्फ सीबीएसई से संबद्ध स्कूलों में ही थी।
उत्तर प्रदेश को सबसे ज्यादा 41 करोड़ की दी गई मदद
स्कूलों में बालिकाओं को आत्मरक्षा का प्रशिक्षण दिलाने के लिए केंद्र ने सबसे ज्यादा 41 करोड़ रुपये की राशि अकेले उत्तर प्रदेश को दी है। जहां 45 हजार से ज्यादा स्कूलों को इसका लाभ मिलेगा। वहीं बिहार को पांच करोड़ रुपये की मदद दी गई है, इसका लाभ करीब छह हजार स्कूलों को मिलेगा। राजस्थान को करीब 24 करोड़ रुपये दिए गए हैं, जिसका लाभ वहां के करीब 33 हजार स्कूलों में पढ़ने वाली बालिकाओं को मिलेगा।
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