चंडीगढ़ : पिछले चार साल में तमाम प्रयासों के बावजूद हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड की परीक्षाओं में पांच साल पहले के पास प्रतिशत तक पहुंचना दूर की कौड़ी साबित हो रहा है। सन 2014 में दसवीं में 60.84 और बारहवीं में 72.91 फीसद बच्चे पास हुए थे, लेकिन उसके बाद अभी तक यह प्रदर्शन दोहराया नहीं जा सका है।
स्कूलों में बच्चों के खराब रिजल्ट का मुद्दा हरियाणा विधानसभा के मानसून सत्र में भी गूंजा। जींद के जुलाना हलके से इनेलो विधायक परिमंद्र सिंह ढुल ने सरकार से दसवीं और बारहवीं की परीक्षाओं में पांच साल के दौरान बच्चों के प्रदर्शन की जानकारी मांगी थी। शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा की ओर से दिए जवाब में बताया गया कि इस दौरान जहां नकलचियों की संख्या में भारी इजाफा हुआ, वहीं पास प्रतिशत गिर गया।
पांच साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो न केवल सरकारी, बल्कि निजी स्कूलों के बच्चों के प्रदर्शन में भी गिरावट आई है। वर्ष 2014 में जहां दसवीं में 60.84 फीसद बच्चे पास हुए थे, वहीं बारहवीं के 72.91 फीसद बच्चों ने परीक्षा में सफलता पाई। इसके बाद कभी भी दसवीं में 51.15 और बारहवीं में 64.50 फीसद से अधिक छात्र पास नहीं हो सके। इसके उलट नकलचियों की संख्या जरूर बढ़ गई। वर्ष 2014 में जहां दसवीं में 1120 और बारहवीं में 1457 छात्र नकल करते पकड़े गए थे, वहीं अगले साल यह संख्या क्रमश: 2299 और 2832 तक पहुंच गई। हालांकि बाद के वर्षो में नकलचियों की संख्या में गिरावट जरूर आई है।
उधर, खराब रिजल्ट का ठीकरा पूर्ववर्ती सरकारों की फेल नहीं करने की नीति पर फोड़ते हुए शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा ने कहा कि इससे बच्चों में पढ़ने में दिलचस्पी कम हुई।
अब फिर से नीतियों में बदलाव कर उन्हें शिक्षा के प्रति प्रेरित किया जा रहा है। नकल करने वाले छात्रों की बढ़ी संख्या की वजह सरकार की सख्ती है जिसमें नकलचियों को कोई रियायत नहीं दी जा रही। शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार से बच्चे अब अपनी मेहनत से पास हो रहे हैं।
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