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Monday 20 January 2014

मुख्यमंत्री के आश्वासन बाद भी 10 हजार स्कूलों को नहीं मिली मान्यता

** 25 को 20 हजार शिक्षक उतरेंगे सड़कों पर, देंगे ज्ञापन 
रोहतक : आरटीई (शिक्षा का अधिकार) के तहत एक कमरा व एक कक्षा के मुताबिक मान्यता देने के मामले में मुख्यमंत्री ने पिछले साल 23 मार्च को आश्वासन दिया था। इसके बावजूद अब तक राज्य के 10 हजार गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों को शिक्षा विभाग की ओर से मान्यता नहीं दी गई है। इसके विरोध में प्रदेश भर के 20 हजार शिक्षक परिजनों सहित आगामी 25 जनवरी को सीएम के गृह जिले की सड़कों पर उतरकर रोष प्रदर्शन करेंगे। साथ ही, जिला उपायुक्त को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन देंगे। 
हरियाणा प्राइवेट स्कूल संघ के प्रदेशाध्यक्ष सत्यवान कुंडू ने रविवार को झज्जर रोड स्थित एक निजी स्कूल में पत्रकारों को बातचीत में बताया कि वह विस व लोकसभा चुनाव में उसी पार्टी को वोट देंगे, जो उनकी मांगों का समर्थन करेगा। साथ ही, शिक्षा नियमावली 2007 का सरलीकरण कर निजी स्कूलों के हक की आवाजों को बुलंद करेगा। कुंडू ने बताया कि 25 जनवरी को रोहतक में गोहाना रोड स्थित शिव धर्मशाला में राज्य भर से प्राचार्य व शिक्षक परिजनों सहित पहुंचेंगे। शिक्षा विभाग के कुछ अधिकारियों की मनमानी से प्रदेश के 1372 स्कूलों पर बंद होने का खतरा मंडरा रहा है। 
धारा 134 के तहत खर्च वहन करे सरकार 
संघ के जिला अध्यक्ष रविंद्र नांदल ने बताया कि निजी स्कूलों को बंद करने पर तुली राज्य सरकार को पहले सरकारी स्कूलों की स्थिति सुधारनी चाहिए। अगर सरकार प्राइवेट स्कूलों में धारा 134 के तहत जरूरतमंद बच्चों को पढ़ाना चाहती हैं तो उनका खर्च भी स्वयं वहन करें। जहां राज्य में 30,000 से अधिक अध्यापकों के पद रिक्त पड़े हैं, वहीं स्वयं शिक्षामंत्री के गृह जिले में 2 दर्जन से अधिक प्राथमिक स्कूलों की इमारतें भी खस्ताहाल हैं। यहीं नहीं, प्रदेश के 15 हजार सरकारी स्कूलों में डीटीएच, कम्प्यूटर शिक्षा व पुस्तकालय शो पीस बन कर रह गए हैं। 
ये हैं मुख्य मांगें 
  • हरियाणा प्राईवेट स्कूल संघ ने गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों को एक कमरा एक कक्षा के हिसाब से मान्यता दी जाए। 
  • स्कूलों के मध्य भूमि टुकड़ो की दूरी बढ़ाना, खेल मैदान व प्रार्थना स्थल के लिए सार्वजनिक मैदान या पार्कों का प्रयोग करने की अनुमति दी जाए। 
  • स्कूलों से बिजली- व पानी के बिल को व्यवसायिक रूप से वसूलना बंद कर इन्हें सोसायटी दरों पर किया जाए। 
  • साल 2007 में संचालकों पर चंडीगढ़ में गलत तरीके से दर्ज मामले को वापस लिया जाएं। 
  • स्कूलों के कवर स्थान का अनुपात बदलने के साथ मान्यता के लिए प्रतिभूति राशि को कम किया जाए। 
  • मान्यता व अस्थाई मान्यता प्राप्त स्कूलों को एक मुश्त स्थाई मान्यता प्रदान की जाए। 
  • स्कूलों को प्रोपर्टी, लेबर व अन्य टैक्सों के दायरे से पूर्णत: बाहर किया जाएं। 
  • स्कूलों की मान्यता के लिए जमीन की शर्त को कम किया जाए।

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