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Monday 6 January 2014

पीजीटी भर्ती पर फिर छा सकते हैं संकट के बादल

** राजनीतिक शास्त्र में अपनाए गए भर्ती मापदंडों के खिलाफ याचिका
** 12 मई को मामले की सुनवाई करेगा हाई कोर्ट   
जींद : हाईकोर्ट के फैसले के बाद शिक्षा विभाग ने बेशक पीजीटी शिक्षकों की ज्वाइनिंग करा दी है, लेकिन उनकी भर्ती पर संकट के बादल हटते नहीं दिख रहे। हरियाणा राज्य शिक्षक भर्ती बोर्ड द्वारा राजनीतिक शास्त्र विषय में अपनाए गए भर्ती मापदंडों के खिलाफ जींद के एक आवेदक ने हाई कोर्ट की शरण ली है। हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार व भर्ती बोर्ड को नोटिस जारी कर स्पष्ट किया है कि पीजीटी राजनीतिक शास्त्र की भर्ती इस फैसले पर निर्भर करेगी। अगली सुनवाई 12 मई को होगी। 
हरियाणा राज्य शिक्षक भर्ती बोर्ड ने विज्ञापन संख्या 1/2012 द्वारा विभिन्न विषयों के पीजीटी पदों के लिए सात जून 2012 को आवेदन मांगे थे। राजनीतिक शास्त्र के लिए चयनित उम्मीदवारों का परिणाम 10 अप्रैल 2013 को घोषित किया गया था। परिणाम घोषित के साथ ही भर्ती बोर्ड ने भर्ती के लिए अपनाए गए मापदंड भी प्रकाशित किए थे। इसमें 67 अंक शैक्षणिक योग्यता, 33 नंबर साक्षात्कार के लिए लगाए गए थे। इस पर चयन न होने वाले आवेदकों ने नाखुशी जाहिर की थी। सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले को आधार मानते हुए जींद के जगबीर सिंह ने मई 2013 में हाईकोर्ट में सीडब्ल्यूपी नंबर 11736/2013 के तहत याचिका डालकर साक्षात्कार के 33 अंकों को चुनौती दी थी। कोर्ट ने याचिका तो स्वीकार कर ली थी, लेकिन एक जनहित याचिका केस नंबर 5084/2013 के तहत राज्य शिक्षक भर्ती बोर्ड को ही चुनौती दी हुई थी। इस कारण से जगबीर सिंह के केस में भर्ती बोर्ड पर फैसला आने तक नोटिस जारी नहीं करने के आदेश दिए थे। गत 13 दिसंबर को हाईकोर्ट ने जनहित याचिका में फैसला दे दिया, जिसके बाद जगबीर ने हाईकोर्ट से अपनी याचिका पर नोटिस जारी करने के लिए आवेदन किया। 
इन फैसलों को आवेदन ने बनाया आधार
1. जगबीर सिंह ने याचिका में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने 10 मई 1991 को सिविल अपील नंबर-2433 से 2435 वर्ष 1991 के तहत फैसला सुनाया था कि भर्ती प्रक्रिया के लिए अपनाए गए मापदंडों के 15 प्रतिशत से ज्यादा अंक निर्धारित नहीं किए जा सकते। इसके विपरीत राज्य शिक्षक भर्ती ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले की धज्जियां उड़ाते हुए साक्षात्कार के ही 33 प्रतिशत अंक निर्धारित कर दिए हैं, जो फैसले के अनुसार 18 प्रतिशत ज्यादा है। 
2. पंजाब एवं हरियाणा कोर्ट ने सीडब्लूपी नंबर 3969/2009 दिनांक-4-2-2010 वंदना धदवाल बनाम पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ के मामले में फैसला सुनाते हुए कहा था कि विज्ञापन के समय भर्ती मापदंडों को प्रकाशित न करना आवेदकों के समय तथा उनके पैसों की बर्बादी है।                           dj

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