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Tuesday 15 April 2014

सेमेस्टर सिस्टम ने बच्चों की राह की मुश्किल

** विद्यार्थी से लेकर कॉलेज चिंता में, विवि के अधिकारी सुनने को तैयार ही नहीं
सोनीपत : कॉलेज में दाखिला हुआ 750 बच्चों का और पढ़ाई खत्म करने के बाद डिग्री मिली महज 181 बच्चों को। यह आंकड़ा भले ही राजकीय महाविद्यालय, गोहाना का है जहां रविवार को दीक्षांत समारोह हुआ था, लेकिन समारोह ने हकीकत जिले के अधिकांश कॉलेजों की बयां कर दी है। मौजूदा स्थिति को लेकर कॉलेज प्रिंसिपल दु:खी हैं, लेकिन समय सीमा की बंदिश ऐसी है चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहे। उस पर दिक्कत यह कि विश्व विद्यालय प्रशासन उनकी समस्या की गंभीरता को सुनने को तैयार नहीं। 
यहां टीकाराम गर्ल्स कॉलेज, सोनीपत का उदाहरण सभी के सामने हैं जहां काफी छात्राओं का साल इसी लिए बर्बाद हो गया क्योंकि कई छात्राओं की पहले वर्ष में कुछ विषय में रि अपीयर आ गई थी। इसके बाद ईयर आगे बढ़ाते हुए वे पीजी क्लास तक तो पहुंच गई, लेकिन चूंकि रि क्लियर नहीं हुई इसलिए सारी मेहनत खत्म। ऐसा एक के साथ नहीं अनेक के साथ हुआ। छात्राओं के इस दु:ख से प्रबंधन भी दु:खी है। 
उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा सेमेस्टर सिस्टम : 
शैक्षणिक उत्थान के रूप में कॉलेजों में शुरू किए गए सेमेस्टर सिस्टम ने विद्यार्थियों की राह तो मुश्किल की ही है साथ ही कॉलेजों को भी निरंतर परेशानी में रखा हैं। 
राजकीय महाविद्यालय, गोहाना के प्रिंसिपल ओडी शर्मा कहते हैं पढ़ाई के हित में सेमेस्टर सिस्टम उम्मीदों पर खरा नहीं उतर सका है। वे बताते हैं कि जब सेमेस्टर नहीं था तब उनका पास प्रतिशत अब से दो गुणा था, लेकिन अब ऐसा नहीं है। 
दबाव में भी बिखर रहे हैं छात्र : 
पहले छात्र फेल होने की आशंका के चलते जमकर पढ़ाई करते थे और पास भी हो जाते थे, लेकिन अब स्थिति यह है कि छात्रों की हर सेमेस्टर में रि-अपीयर आ रही है। 
तीन साल के कोर्स में भले ही कोई छात्र पांच सेमेस्टर के एक भी पेपर में पास न हो, लेकिन वह भी छठे सेमेस्टर तक पहुंच जाता है। रि-अपीयर की संख्या लगातार बढ़ती जाती और आखिर में दबाव के कारण वह खुद ही बिखर जाता है। कॉमर्स के छात्र मोनिका राठी ने सिर्फ इसी चिंता में कॉलेज से किनारा कर लिया। 
"कॉलेज की कोशिश बेस्ट प्रदर्शन निकालने की होती है, लेकिन सेमेस्टर सिस्टम ने स्थिति को सुधारने के बजाए बिगाड दी है। अब समय कम और पढ़ाई भी कम ही हो पाती है। यहां भी बच्चों को दूसरी गतिविधियों में भी मौका देकर उनकी प्रतिभा निखारनी होती है। यही कारण है कि परिणाम में पास प्रतिशत की कमी हो रही है। ''-- डॉ. मोनिका वर्मा, प्रिंसिपल, टीकाराम गल्र्स कॉलेज, सोनीपत                                           db

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