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Tuesday 15 April 2014

सरकार के काबू नहीं आ रहे निजी स्कूल

** नियम 134-ए के तहत आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को नहीं दे रहे एडमिशन 
** विभाग के पास पड़े हैं 40,000 से ज्यादा आवेदन
चंडीगढ़ : तमाम कोशिशों के बावजूद प्राइवेट स्कूल प्रदेश सरकार के काबू नहीं आ रहे। नया शिक्षा सत्र शुरू हो चुका है, लेकिन ये स्कूल आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को दाखिला देने में आनाकानी कर रहे हैं। एडमिशन के लिए हाल में मांगे गए ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया के तहत शिक्षा विभाग के पास 40 हजार से ज्यादा आवेदन आ चुके हैं। इनका अभी तक निस्तारण नहीं हुआ है। 
इधर, ऑनलाइन आवेदन करने वाले बच्चों और अभिभावकों की परेशानी यह है कि अगर उनके एडमिशन समय पर नहीं हुए तो बाद में उन्हें दूसरे स्कूलों में भी दाखिला नहीं मिल पाएगा। सीट खाली नहीं होने का बहाना बनाकर निजी स्कूल अनाप-शनाप फीस मांगेंगे। इतनी फीस देना इन अभिभावकों के लिए संभव नहीं होगा। ऐसी स्थिति में इन बच्चों का भविष्य भी बिगड़ सकता है। 
बड़े स्कूलों की वजह से हो रही देरी : कुलभूषण 
प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा का कहना है कि छोटे प्राइवेट स्कूल तो पहले ही 10 फीसदी गरीब बच्चों को पढ़ा रहे हैं। इसलिए ऐसे ज्यादातर स्कूलों के पास सीटें फुल हो चुकी हैं। जिनके पास सीटें खाली हैं, उन्होंने अपना ब्यौरा शिक्षा विभाग को दे दिया है। खाली सीटों का जो आंकड़ा आ रहा है वह कुछ बड़े स्कूलों की वजह से है। इन स्कूलों को मिलिट्री या सरकार से रिटायर्ड अफसर चला रहे हैं। सरकार इनमें दाखिला दिलवाने के बजाय छोटे स्कूलों पर जबरदस्ती कर रही है। हम चाहते हैं कि सरकार सभी स्कूलों में शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई) लागू करे और उसके तहत स्कूलों को फीस का पुनर्भरण करे। 
क्या कहते हैं जिम्मेदार 
इसलिए अड़े हैं स्कूल वाले 
बीपीएल और आर्थिक रूप से कमजोर (ईडब्ल्यूएस) श्रेणी के बच्चों को संपन्न वर्ग के बच्चों के साथ बिठाने पर अभिभावक आपत्ति करते हैं। इन्हें दाखिला देने से स्कूलों को फीस का नुकसान भी होता है, क्योंकि ऐसे बच्चों की फीस न तो वे अभिभावकों से ले सकते हैं और न सरकार इसका भुगतान करती है। इसलिए स्कूल संचालक जानबूझकर मामले को टाल रहे हैं। 
चुनाव आयोग भी गए संचालक 
मौजूदा शिक्षा सत्र के लिए दाखिले शुरू होने के बाद निजी स्कूल संचालकों ने नियम १३४ए के तहत एडमिशन बंद करवाने के लिए चुनाव आयोग में भी शिकायत की थी। इसके चलते शिक्षा विभाग को मिले ४० हजार आवेदनों पर कोई फैसला नहीं हो सका। हालांकि राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने प्राइवेट स्कूलों की यह अर्जी खारिज कर दी थी। 
इसी महीने करवा देंगे सभी बच्चों के एडमिशन : गीता भुक्कल 
शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल का कहना है कि नियम 134 ए के तहत प्रदेश में दाखिले शुरू हो गए थे, लेकिन प्राइवेट स्कूलों की ओर से चुनाव आयोग के पास शिकायत करने के बाद यह प्रक्रिया रुक गई थी। सरकार के जवाब के बाद आयोग स्कूलों की अर्जी खारिज कर चुका है। यह सही है कि हमारे पास करीब 40,000 एप्लीकेशन आई हुई हैं। मंगलवार को ही इस काम को प्राथमिकता देते हुए ब्लॉक, जिला और राज्यस्तरीय मॉनीटरिंग कमेटियों की रिपोर्ट मंगवाई जाएगी। हमारा प्रयास है कि इसी महीने लॉटरी निकालकर दाखिला प्रक्रिया को पूरा कर लिया जाए। भुक्कल ने कहा कि जो स्कूल दाखिला नहीं देंगे, उनके खिलाफ सरकार सख्त कार्रवाई करेगी। इसके लिए आंदोलन कर रहे सतबीर हुड्डा के नेतृत्व में एक शिष्टमंडल भी मुझसे मिला था। मैंने उनसे भी उन बच्चों की सूची मांगी है जिन्हें पात्र होते हुए भी दाखिला नहीं मिल पाया है। 
हाईकोर्ट के आदेश की भी परवाह नहीं 
हरियाणा स्कूल एजूकेशन एक्ट के नियम 134 ए के तहत प्राइवेट स्कूलों को अपने यहां 25 फीसदी सीटों पर बीपीएल और आर्थिक रूप से कमजोर (ईडब्ल्यूएस) श्रेणी के बच्चों को नि:शुल्क एडमिशन देना था। प्राइवेट स्कूल जब इसके लिए तैयार नहीं हुए तो सरकार ने कैबिनेट में फैसला लेकर इस सीमा को 25  से घटाकर 10 फीसदी कर दिया। इस मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट भी कह चुका है कि नियमानुसार 10 फीसदी बच्चों को दाखिला मिलना चाहिए, लेकिन निजी स्कूल इसके लिए तैयार नहीं है। शिक्षा विभाग के अनुसार प्राइवेट स्कूलों में 10 फीसदी एडमिशन के लिए सरकार को खुद सहमति दी थी।                                              db 

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