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Sunday 22 June 2014

स्कूल मुखियाओं को ट्रेनिंग दे रहे जूनियर शिक्षक

** स्कूल हेड से ऊपर के अधिकारियों को मास्टर ट्रेनर के रूप में नियुक्त करना नहीं संभव
जींद : यह अजीब विडंबना ही है कि शिक्षा विभाग के जूनियर शिक्षक (प्राइमरी व लेक्चरार) अपने सीनियर्स (स्कूल मुखियाओं) को ट्रेनिंग क्वालिटी इम्प्रूव प्रोग्राम की ट्रेनिंग दे रहे हैं। लेकिन सीनियरों ने इसे लेकर मोर्चा खोल दिया है। साथ ही इस ट्रेनिंग को अपने समकक्ष ओहदे वाले अधिकारी से कराने के सुझाव विभाग को दे डाले हैं।
मुख्यमंत्री शिक्षा दीक्षा योजना के क्वालिटी इम्प्रूव प्रोग्राम के तहत प्रदेश के सरकारी स्कूलों के प्राइमरी, मिडिल, हाई और सीनियर सेकेंडरी स्कूलों के मुखियाओं को ट्रेनिंग देने का काम किया जा रहा है। टेनिंग देने के लिए प्राइमरी, लेक्चरार, मिडिल हैड व सीनियर सेकेंडरी स्कूल हैड को मास्टर ट्रेनर बनाया गया है। इनकी नियुक्ति के लिए बाकायदा शिक्षा निदेशालय ने लगभग छह माह पूर्व आवेदन भी मांगे थे।1इसमें 500 से अधिक प्राइमरी शिक्षकों से लेकर स्कूल हैड ने आवेदन किया था, जिसमें 100 के करीब शिक्षकों का चयन हुआ। आवेदन लेने के बाद लगभग आठ बार इन्हें ट्रेनिंग देकर मास्टर टेनर बनाया गया और क्वालिटी इम्प्रूवमेंट प्रोग्राम की जानकारी दी गई। इसके बाद इन्हें जिलों में भेजकर ट्रेनिंग देने का काम शुरू कराया गया। शुरुआत में सब कुछ ठीक रहा, लेकिन अब कई स्कूल मुखियाओं को यह बात हजम नहीं हो रही कि उनसे जूनियर शिक्षक अपने सीनियर शिक्षक को ट्रेनिंग कैसे दे सकता है।
इस पर प्रदेश भर में कई स्कूल मुखियाओं ने अपनी आपत्ति व सुझाव संबंधित अधिकारियों को दिए हैं। इसमें उन्होंने मांग की है कि यह ट्रेनिंग या भविष्य में दी जाने वाली ट्रेनिंग के लिए उनके समकक्ष ओहदे वाले अधिकारी या उच्च्चाधिकारी को ही मास्टर ट्रेनर के रूप में नियुक्त किया जाए। 
वहीं दूसरी तरफ विभाग की मानें तो स्कूल हैड से ऊपर के अधिकारियों को मास्टर ट्रेनर के रूप में नियुक्त करना संभव नहीं है, क्योंकि वह प्रशासनिक मामलों से जुड़े होते हैं और उनके पास इतना समय नहीं होता कि वह ट्रेनिंग दें।
राजकीय स्कूल प्रिंसिपल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष रमेशचंद्र मलिक का कहना है कि विभाग के आदेश पर टेनिंग जारी है, लेकिन कायदे से सीनियर को जूनियर ट्रेनिंग कैसे दे सकता है। इस मसले पर उन्होंने भी विभागीय अधिकारियों को सुझाव दिए हैं कि वे उनके समकक्ष ओहदे वाले अधिकारी या उच्च्चाधिकारी को ही ट्रेनिंग के लिए मास्टर ट्रेनर बनाएं। यही नहीं, स्कूल हैड को केवल शैक्षणिक गतिविधियों में रखा जाए अन्य गैर शैक्षणिक गतिविधियों से दूर रखा जाए।
ट्रेनिंग नहीं कराई जा रही
"यह शिक्षा विभाग का प्रोग्राम है। जो मास्टर ट्रेनर लगाए गए हैं, उन्हे अच्छी तरह से कई बार टेनिंग दी गई है। प्राइमरी से लेकर स्कूल हैड तक मास्टर ट्रेनर बनने के लिए आवेदन मांगे गए थे। जो उचित लगे, उन्हें चुना गया। किसी पर दबाव डालकर ट्रेनिंग नहीं कराई जा रही है।"--दिलबाग मलिक, कंसल्टेंट, मुख्यमंत्री शिक्षा दीक्षा योजना (क्वालिटी इम्प्रूव प्रोग्राम)                              dj

2 comments:

Unknown said...

Length of service kisi ko inteligent ya moorakh nahi banati ya koi promotion le kar inteligent nahi ban jata knowlede agar ek bache se bhi mile le leni chahiye is treh ka objection school heads ke ghamad ko dikhata hai

Unknown... said...

Yeh baat jis din HIMALAYAS ke kaan me pad gayi woh kisi ko bhi apne upar nahi chadne dega kyonki woh to sabhi se senior hai?Jara soch kar dekhe.
It is my personal view.
Baki aap sab shiksha jagat ke budhijivi ho.

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