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Wednesday 1 April 2015

सरकार और स्कूलों की जंग में फंसे बच्चे

** प्राइवेट स्कूल संघ ने कर रखा है 134ए का बहिष्कार नया सत्र शुरू, दाखिलों में असमंजस 
हिसार : नया शैक्षणिक सत्र बुधवार से शुरू हो रहा है। प्राइवेट सरकारी स्कूलों में नए सत्र के लिए सारी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं, लेकिन 134ए को लेकर सरकार और प्राइवेट स्कूल संघ के बीच छिड़ी जंग में बच्चे फंसकर रह गए हैं।सवाल है कि दोनों की इस लड़ाई में नए सत्र में भी बच्चों को दाखिला मिल पाएगा या नहीं। 
यह है सरकार और प्राइवेट स्कूल संघ के बीच विवाद : 
प्राइवेट स्कूल संघ का तर्क है कि भाजपा के मंत्रियों ने सत्ता में आने से पहले वादा किया था कि 134ए के तहत पढ़ने वाले गरीब बच्चों का खर्च सरकार उठाएगी। सरकार पर वायदा खिलाफी का आरोप लगाते हुए संघ के नेताओं ने कुछ दिन पहले 134ए का बहिष्कार करने की ऐलान कर दिया था। सवाल है कि सरकार खर्च देने काे तैयार है और ही प्राइवेट स्कूल संघ बिना खर्च के पढ़ाने को। इस बार बच्चों को दाखिला मिल पाएगा या नहीं इसका किसी के पास कोई जवाब नहीं है। 
कुछ इस तरह किए जा रहे तर्क-कुतर्क 
"सरकारऔर प्राइवेट स्कूल संघ मिलीभगत कर बच्चों के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। हर वर्ष संघ कोई कोई बहाना बनाकर दाखिला करने से मना कर देते हैं। इस बार यदि दाखिला नहीं हुआ तो अभिभावक संघ बड़ा आंदोलन करेगा।"-- आरपीजग्गा, प्रधान, अभिभावक मंच हिसार। 
"गरीब बच्चों को पढ़ाने में प्राइवेट स्कूल पीछे नहीं हट रहे, लेकिन सरकार वादा खिलाफी कर रही है। इस बार सरकार खर्च देगी तो 134ए के तहत दाखिला दिया जाएगा, अन्यथा प्राइवेट स्कूल संघ इसका बहिष्कार करते हुए करते हुए कोई दाखिला नहीं देगा।"-- सत्यवानकुंडू, प्रदेशाध्यक्ष, हरियाणा प्राइवेट स्कूल संघ। 
"सरकार की तरफ से स्पष्ट निर्देश है कि स्कूलों में दस प्रतिशत बच्चों का 134ए के तहत दाखिला करना होगा। ऐसा नहीं करने वाले स्कूलों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी।"-- डॉ.मधु मित्तल, जिला शिक्षा अधिकारी हिसार। 
यह है 134ए का नियम
सरकार ने 134ए का प्रावधान शुरू किया था। इसके तहत प्राइवेट स्कूलों को ऐसे बच्चों को फ्री में पढ़ाना होता है जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं, या फिर उनके पिता की सालाना आय दो लाख रुपए से कम है। शुरुआत में 134ए के तहत प्रति कक्षा 25 प्रतिशत बच्चे रखे गए थे, लेकिन तीन साल पहले हुड्डा सरकार ने इसमें बदलाव कर प्राइवेट स्कूलों में दस प्रतिशत बच्चे फ्री पढ़ाने का प्रावधान किया था। अभिभावकों को पांच स्कूलों का चयन कर ऑनलाइन फार्म भरना होता है। फिर चंडीगढ़ डायरेक्टर कार्यालय से कुछ दिन बाद जानकारी दी जाती है कि उनके बच्चे का दाखिला किस प्राइवेट स्कूल में हुआ है।                                                           db

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