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Sunday 12 April 2015

विद्यार्थी कक्षाओं की जगह जोड़ रहे साइकिल के पार्ट्स

** आखिर कब सुधरेंगे सरकारी स्कूलों के हालात, बच्चे नहीं पहुंच रहे कक्षाओं में, शिक्षक बेखबर
** विद्यार्थी भी ठेकेदार के आदमियों के साथ जोड़ रहे हैं साइकिल
** स्कूल के प्रिंसिपल मामले में बन रहे हैं अंजान
फतेहाबाद :  एक ओर शिक्षा विभाग सरकारी स्कूलों की तरफ विद्यार्थियों का रुझान बढ़ाने के लिए अभियान चला रहा है वहीं दूसरी है ओर स्कूल प्रशासन की लापरवाही का जीता जागता उदाहरण फतेहाबाद के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में देखने को मिला। स्कूल परिसर में विद्यार्थी कक्षाओं की जगह एसएसए के तहत विद्यार्थियों को दी जाने वाली साइकिलों के पार्ट्स जोड़ने में लगे हुए थे। स्कूल इंचार्ज से लेकर स्टाफ तक सब बेखबर थे। 
बता दें कि शिक्षा विभाग हरियाणा की ओर से एसएसए के तहत फतेहाबाद ब्लॉक में दी जाने वाली 310 साइकिलों के पार्ट्स राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय फतेहाबाद में पहुंचे हैं जहां पर इन्हें फिट करने का काम चल रहा है। ठेकेदार के द्वारा विद्यार्थियों से फिटिंग करवाने का काम लिया जा रहा है। अमर उजाला ने जब काम करते हुए विद्यार्थियों की फोटो ली और ठेकेदार से इस बारे में पूछा तो ठेकेदार ने तुरंत विद्यार्थियों को मौके से भगा दिया। 
अब सवाल यह उठता है कि सरकार के लाख दावा करने और लाखों रुपये खर्च कर अभियान चलाने के बाद भी सरकारी स्कूलों की हालत आखिर कब तक ऐसी दयनीय स्थिति बनी रहेगी। कक्षा में बच्चों की उपस्थिति नहीं होने पर आखिर शिक्षक इसका जायजा क्यों नहीं लेते कि बच्चे कक्षा में न होकर कहां है। ये हाल केवल एक स्कूल का नहीं है, कई स्कूलों में बच्चों को काम करते देखा जा सकता है। 
स्कूल का कोई विद्यार्थी नहीं गया
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के प्रिंसिपल कृष्ण चंद्र वर्मा ने बताया कि साइकिल फिटिंग के लिए बाहर से ठेकेदार आए हुए हैं। विद्यार्थियों से कोई काम नहीं लिया जा रहा है।
ठेकेदार को दिया गया है फिटिंग का काम
हरियाणा के टेंडर ठेकेदार संतोष गुप्ता ने कहा कि साइकिल फिटिंग के लिए ठेका दिया गया है, जिन्हें प्रति साइकिल 65 रुपये दिए जा रहे हैं। ठेकेदार ऐसे विद्यार्थियों से काम नहीं करवा सकता है। 
बीते दिन ही शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव ने शिक्षकों को लगाई थी फटकार
बड़ी बात यह है कि पिछले दिनों ही शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव टीसी गुप्ता ने एक स्कूल का निरीक्षण किया था। बच्चों की लचर स्थिति को देखते हुए उन्होंने शिक्षकों को सख्त हिदायत दी थी कि तीन महीने में स्थिति का सुधार नहीं हुआ तो कड़ी कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने सवाल उठाया था कि साल भर में प्रति बच्चा 25 हजार रुपये खर्च होने के बाद भी स्थिति में सुधार क्यों नहीं हो पा रहा है।                                                                        au


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