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Wednesday, 5 December 2018

एचएसएससी भर्ती घोटाले की पुन: जांच के आदेश


पंचकूला/चंडीगढ़ : हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (एचएसएससी) में पैसे लेकर नौकरी के लिए चयनित करने के मामले की जांच पर मंगलवार को जिला अदालत ने सवाल खड़े किए। अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने हरियाणा के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को मामले की पुन: जांच के आदेश दिए हैं।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश नरेन्द्र सूरा ने मामले की जांच के लिए डीजीपी को 3 आईपीएस अफसरों की एक समिति गठित करने के लिए कहा है। यह समिति 2 महीने में जांच पूरी कर रिपोर्ट अदालत को सौंपेगी। अदालत ने खुलासा किया है कि घोटाले की जांच के लिए पहले गठित की स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम (एसआईटी) ने काॅल ट्रांसक्रिप्शन की डीवीडी तक नहीं सुनी। यही नहीं, एसआईटी इस धांधली की जांच में 2000 कॉल्स की जांच भी नहीं कर सकी। अदालत ने अब जांच को दो महीने में पूरा करने के आदेश दिए हैं। गौरतलब है कि एसआईटी इस मामले में मुख्य आरोपी सुभाष शर्मा के खिलाफ चालान भी पेश नहीं कर सकी। एचएसएससी में धांधली के इस मामले के खुलासे के समय आरोपी गोपनीय शाखा में तैनात था।
जांच के घेरे में अब तक ये
जांच के बाद इस पूरे खेल में शामिल अधीक्षक सुभाष पराशर, सहायक रोहताश शर्मा, सहायक सुखविंद्र सिंह, सहायक अनिल शर्मा, आईटी सैल में अनुबंध कर्मचारी पुनीत सैनी के साथ ही कर्मचारी चयन आयोग को पूर्व में कंपनी के माध्यम से अनुबंध पर कंपनी के माध्यम से कर्मचारी उपलब्ध कराने वाले धर्मेंद्र सहित लिपिक बलवान सिंह और सुरेंद्र कुमार सहायक सिंचाई विभाग को गिरफ्तार किया था। पंचकूला पुलिस ने सेक्टर-पांच थाने में मामला दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी थी।
इलेक्ट्रोनिक गैजेट्स लिए गए कब्जे में
गोपनीय शाखा (सीक्रेट ब्रांच) के कर्मचारियों व अन्य समेत आठ लोगों को उड़नदस्ते ने गिरफ्तार कर कई दस्तावेज भी एकत्रित किए थे। ब्रांच की जिम्मेदारी जानकारियों को गोपनीय रखने की होती है। पुलिस ने दस्तावेज समेत तमाम इलेक्ट्रोनिक गैजेट्स भी कब्जे में लेकर जांच की। विभिन्न परीक्षाओं और सैकड़ों उम्मीदवारों से संबंधित दस्तावेज खंगाले गए। इसके बाद अनियमितता में इस्तेमाल दस्तावेज, डाटाबेस, पेनड्राइव, सीपीयू सहित ब्रांच में इस्तेमाल होने वाले तमाम इलेक्ट्रोनिक गैजेट्स को भी कब्जे में ले लिया गया था।
यह है मामला 
इसी साल अप्रैल में सीएम के फ्लाइंग स्कवॉड ने नौकरियों में विभिन्न पदों पर नियुक्ति के लिए रिश्वत लेकर रिजल्ट (डाटा) में हेरफेर करने के आरोप में कार्रवाई की थी। मुख्यमंत्री उड़नदस्ते ने भ्रष्टाचार के पूरे मामले को उजागर करने के लिए मुकदमा संख्या 189 के तहत केस दर्ज किया था। इसे धारा 166, 167, 420, 465, 467, 468, 471, 120-बी भादसं, 7/8/10/12/13/13(1)/15 भ्रष्टाचार अधिनियम व 66, 72 आईटी एक्ट के तहत दर्ज किया गया है।

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