हिसार : वर्ष 2015 में पीजीटी संस्कृत पदों पर निकाली गई भर्ती में बीएड होने के
बावजूद इंटरव्यू प्रक्रिया से बाहर किये गए अभ्यर्थियों पर भर्ती से बाहर
होने का खतरा मंडरा रहा है। इन अभ्यर्थियों को सूचना दिये बिना ही 19
दिसंबर को पिछले तीन साल से चले आ रहे मामले में इंटरव्यू प्रक्रिया शुरू
कर दी गई।
प्रदेश में करीब 400 अभ्यर्थी ऐसे हैं, जिन्हें हरियाणा
कर्मचारी चयन आयोग ने योग्य करार दिया था। लेकिन इंटरव्यू से पहले इन्हें
अयोग्य करार देकर लिस्ट से बाहर कर दिया था। इन अभ्यर्थियों ने इंटरव्यू
लिस्ट के खिलाफ पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। इसमें
विज्ञापन में दी गई शैक्षणिक योग्यता के अनुसार भर्ती करने की मांग की गई।
असमंजस की स्थिति में आयोग ने भी इंटरव्यू रद्द कर दिया था। हाईकोर्ट ने
अभ्यर्थियों को अस्थायी तौर पर इंटरव्यू में शामिल करने के आदेश दिये थे।
आयोग की ओर से इन्हें नियम में संशोधन का हवाला देकर बाहर कर दिया गया।
सर्विस रूल से जून 2017 से पहले, अप्रैल 2017 में इन्हीं अभ्यर्थियों की
डिग्री को योग्य माना गया था। इंटरव्यू की पहली सूची में शामिल किया गया
था, लेकिन इसे रद्द करके दोबारा सूची जारी कर इन्हें सूची से बाहर कर दिया
गया।
बीएड के साथ शिक्षा शास्त्री होने से बनी असमंजस की स्थिति :
कर्मचारी चयन आयोग की ओर से इन्हें बाहर करने का कारण बीएड डिग्री के साथ
शिक्षा शास्त्री लिखा होना बताया गया था। आयोग की ओर से इन्हें शिक्षा
शास्त्री(आेटी)ओरिएंटलटीचर माना गया। इसके चलते बीएड होने के बावजूद इन्हें
शास्त्री करार दे दिया गया। वहीं बीएड कराने वाले राष्ट्रीय संस्कृत
संस्थान ने शिक्षा शास्त्री को बीएड का संस्कृत अनुवाद बताया है। अंकतालिका
में बीएड के साथ ब्रैकेट में शिक्षा-शास्त्री लिखा गया है, इनका मतलब एक
ही है। इसकी अंक तालिका संस्कृत में दी गई है। राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान व
लाल बहादुर शास्त्री विश्वविद्यालय का बीएड का सिलेबस केयूके के समान है।
वहीं 2012 में संस्कृत टीचर की भर्ती में भी शिक्षा शास्त्री के आधार पर ही
उन्हें नियुक्तियां दी गई है। जबकि इसी विज्ञापन के आधार पर इसी योग्यता
में मेवात कैडर में वर्ष 2017 में भर्ती की जा चुकी है।
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.