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Sunday 8 September 2013

उधार की किताबों के सहारे हो रही है परीक्षा की तैयारी

**छह महीनों से सरकारी स्कूलों में नहीं पहुंचीं पुस्तकें 
**शिक्षा सत्र शुरू होने के बाद अब तक नहीं आई तीसरी से आठवीं कक्षा तक की पाठ्य पुस्तकें, सीनियर विद्यार्थियों से पुस्तकें मांग कर विद्यार्थी चला रहे हैं काम 
उचाना : आठवीं कक्षा तक बेशक बच्चे फेल नहीं हो, लेकिन शिक्षा का सिस्टम जरूर फेल हो जाएगा। शिक्षा का स्तर पहले से नीचे जरूर चला जाएगा, क्योंकि आधा स्तर बीतने के बाद भी सरकारी स्कूलों में तीसरी कक्षा से आठवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों के लिए पाठ्य पुस्तकें नहीं आई हैं। 
आज भी विद्यार्थियों को पाठ्य पुस्तकों के आने का इंतजार है। अध्यापक उधार की किताबों के सहारे विद्यार्थियों की परीक्षाओं की तैयारी करवा रहे हैं। 15 सितंबर से स्कूल में प्रथम सेमेस्टर की परीक्षाएं होनी है। नए सिलेबस की किताबें नहीं आने से पुराने सिलेबस की किताबें पढ़कर विद्यार्थी परीक्षाओं की तैयारियां कर रहे हैं। विद्यार्थियों की तरह अध्यापकों को भी यहां-वहां से किताबें मांग कर पढ़ाई करवानी पड़ रही है। 
19577 विद्यार्थियों को किताबों का इंतजार 
खंड में प्राइमरी से लेकर पांचवीं तक के 71 स्कूल हैं। इनमें 11 हजार 615, छठीं से लेकर आठवीं तक के 52 स्कूलों में 7962 छात्र-छात्राएं शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। इनमें से ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद पहली व दूसरी कक्षा के विद्यार्थियों को किताबें मिल चुकी हैं, जबकि तीसरी कक्षा से लेकर आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों को किताबों का आज भी इंतजार है। 
जुगाड़ से पढ़ा रहे शिक्षक 
हरियाणा राजकीय विद्यालय अध्यापक संघ उचाना इकाई के प्रधान साधुराम ने कहा कि अध्यापक किसी तरह से किताबों का जुगाड़ करके विद्यार्थियों को पढ़ा रहे हैं। विद्यार्थियों के भविष्य को देखे हुए जल्द से जल्द किताबें मुहैया करवानी चाहिए। 
अध्यापक नहीं दे रहे किताबों के बारे में जवाब 
आठवीं कक्षा के सुनील, छठी कक्षा की आशा व प्रिया ने कहा कि अपने सीनियरों से किताबें उधार मांग कर वो पढ़ाई कर रहे हैं। इनमें से किसी के पास गणित तो किसी के पास अंग्रेजी की किताबें नहीं है, जिसके कारण एक-दूसरे से किताबें लेकर पढ़ाई की जा रही है। किताबों के बारे में अध्यापकों से पूछते हैं तो कोई जवाब नहीं मिलता है। 
अभिभावक राजेंद्र, ईश्वर व बीरबल ने कहा कि शिक्षा विभाग द्वारा सरकारी स्कूलों में आठवीं कक्षा तक मुफ्त पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध करवाई जाती हैं। शिक्षा सत्र शुरू हुए छह महीने हो चुके हैं, लेकिन अब तक स्कूलों में किताबें नहीं पहुंच पा रही हैं। जब समय पर किताबें पढऩे के लिए विद्यार्थियों को नहीं मिलेंगी तो मुफ्त किताबों का क्या फायदा है। बेशक शिक्षा विभाग हर साल करोड़ों रुपए खर्च करके अनेक योजनाएं बनाकर शिक्षा के स्तर को बढ़ाने की कोशिश कर रहा हो, लेकिन इस तरह से शिक्षा का स्तर बढऩे की बजाए गिरेगा। 
पुराने सिलेबस से होंगे पेपर 
"सितंबर माह में होने वाली परीक्षाएं जो सिलेबस विद्यार्थी अब पढ़ रहे हैं उसी सिलेबस से परीक्षाएं होगी। जब नई किताबें स्कूलों में पहुंचेंगी तो विद्यार्थियों को नया सिलेबस पढ़ाया जाएगा। "--धर्मबीर सिंह, खंड शिक्षा अधिकारी, उचाना। ....db




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