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Saturday 12 October 2013

सात महीने बाद पहुंची आधी-अधूरी किताबें

** मुख्यालय से किताब ले जाने के लिए स्कूल मुखियाओं के पास बजट नहीं
** अब तीस हजार छात्रों तक पुस्तकें पहुंचाना चुनौती
रेवाड़ी : सत्र शुरू होने के सात माह बाद भी जिले में आधी-अधूरी संख्या में ही किताबें पहुंची हैं। वहीं इस बार किताबें विद्यालयों तक न भेजकर खंड एवं जिला मुख्यालयों पर ही पहुंचाई गई हैं, जिससे स्कूल मुखिया परेशान हैं। मुख्यालय से 30 हजार विद्यार्थियों तक किताबें पहुंचाना उनके लिए बड़ी चुनौती बन गई है, क्योंकि इसके लिए उनके पास कोई बजट नहीं है। इधर, शिक्षक संगठनों ने स्कूलों तक किताबें नहीं पहुंचाने का विरोध किया है।
भुगतान की राशि नहीं मिली
खंड स्तर पर जहां सहूलियत होती है वहीं गाड़ी पहुंचाई जा रही है। वहां से स्कूल मुखिया को फोन कर अपने स्कूल की किताबें उठाने को कहा जाता है। इसके लिए भुगतान की कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे में स्कूल मुखिया अपने स्तर पर इन किताबों को उठाने और विद्यार्थियों में वितरित कराने तक एक बार में कम से कम 300 से 700 रुपए तक खर्च पड़ रहा है। स्कूल में ऐसा कोई बजट नहीं है कि इसका भुगतान वे कर सकें। ऐसी स्थिति में उन्हें अपनी जेब से खर्च वहन करना पड़ रहा है।
सर्व शिक्षा अभियान के तहत जिले के 414 प्राथमिक और 99 मिडिल स्कूलों के मिलाकर करीब 30 हजार विद्यार्थियों को पहली से आठवीं कक्षा तक की किताबें मुफ्त दी जानी हैं। इसके तहत सभी कक्षाओं की किताबें नहीं पहुंच पाईं हैं। प्रकाशक की ओर से अलग अलग दिनों में पांचों खंड के एक एक स्कूल में भेजकर किताबें उठाने को कहा जा रहा है।
5-10 किमी से लानी है किताबें
पिछले शैक्षणिक सत्र तक सर्व शिक्षा अभियान के तहत लगाए गए एबीआरसी के माध्यम से किताबें पहुंचाई जाती थी। इस बार न तो सर्व शिक्षा अभियान की कोई भूमिका रही और न ही बोर्ड कोई जिम्मेदारी निभा रहा है। संबंधित प्रकाशक की ओर से सीधे जिले में पहुंचाई जा रही हैं जहां से अपने अपने खंड के एक स्कूल में छोड़कर वहां से उठाने को कहा जाता है। रेवाड़ी खंड के हांसाका में किताबें उतारी जा रही हैं। शहर से यह स्कूल 5 से 10 किमी दूर है।  
विभाग की हो जिम्मेदारी
शिक्षक संगठनों ने रोष प्रकट करते हुए विभाग के अधिकारी अपनी जिम्मेदारी से मुकरने का आरोप लगा रहे हैं। हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ प्रांतीय उपप्रधान महावीर यादव, हजरस प्रधान आरपी सिंह दहिया, हरियाणा मास्टर वर्ग एसोसिएशन के भूपेंद्र यादव सहित अनेक शिक्षकों का कहना है कि कोई भी विभाग के अधिकारी जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है। इससे स्कूल मुखिया के साथ विद्यार्थियों की भी पढ़ाई प्रभावित हो रही है।
"स्कूल मुखिया को किताबें उठाने और वितरित कराने के निर्देश हैं। सभी किताबें वितरित कराने के बाद उनका भुगतान विभाग की ओर से करा दिया जाएगा। वे अपना खर्च विवरण विभाग के पास भेजेंगे। इसके बाद भुगतान करा दिया जाएगा। परेशान होने की जरुरत नहीं है।"--संगीता यादव, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी।    db

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