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Monday 9 June 2014

दाखिला फार्म में गलत मिली जानकारी तो नपेंगे प्रिंसिपल

** कॉलेजों में दाखिला प्रक्रिया सुधार को लेकर सख्त हुआ एमडीयू प्रशासन, प्रदर्शनों को लेकर उठाया कदम
रोहतक : एमडीयू से जुड़े कॉलेजों में दाखिला प्रक्रिया में अब किसी तरह की कोई कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। प्रॉस्पेक्ट्स में जारी किए गए नियमों की पालना जरूरी होगी। इनकी उल्लंघना होने और विद्यार्थियों के ऑनलाइन भरे जाने वाले रिकॉर्ड में कमी पाए जाने पर संबंधित कॉलेज के प्रिंसिपल की जवाबदेही तय कर दी गई है। 
एमडीयू में नए सत्र से दाखिला लेने वाले विद्यार्थियों को किसी तरह की परेशानी न झेलनी पड़े, इसके लिए विवि की ओर से नई रूपरेखा तैयार की है। अभी तक स्थिति ये है कि दाखिले के समय अपनी मर्जी से विषय चयन के बाद जब विवि की ओर से परीक्षा सारिणी जारी की जाती है तो उसका मिलान नहीं हो पाता और विद्यार्थी पेपर का समय बदलवाने के लिए कार्यालयों के चक्कर लगाते रहते हैं। इसी तरह की दाखिला प्रक्रिया को लेकर विवि में लगातार विद्यार्थियों के प्रदर्शन और रोजाना आने वाली शिकायतों से प्रशासनिक अधिकारियों की सिरदर्दी बढ़ती जा रही है। इसके अलावा कॉलेजों में 50 फीसदी पर दाखिला देने के लिए तय किए मानक को कई बार प्रिंसिपल स्तर पर बदल दिया जाता था। इसके बाद दाखिला होने पर छात्रों को परेशानी होने पर उन्हें कोर्ट में गुहार लगानी पड़ती थी। इस तरह के मामलों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। 
होगी अनुशासनात्मक कार्रवाई 
अब कॉलेजों को ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के लिए विद्यार्थियों के फीड किए जा रहे डाटा में ध्यान बरतना होगा कि किसी विद्यार्थी की गलत जानकारी न दी जाए। सभी जानकारी डीएमसी व अन्य दस्तावेजों से मिलान होती हो। इन गलतियों को कॉलेज स्तर पर ही निपटाना होगा। अब ऐसी दिक्कतें आगामी सत्र में बनी तो इस मामले में विवि प्रशासन संबंधित कॉलेज प्रिंसिपल पर भी कार्रवाई करेगा। इसके लिए अनुशासनात्मक कार्रवाई जैसे कदम भी उठाए जाएंगे। 
इनका रखना होगा ख्याल 
  • 12वीं कंपार्टमेंट वालों को नहीं मिलेगा दाखिला 
  • विषय चयन प्रॉस्पेक्ट्स के अनुसार ही हो। 
  • पास के लिए तय किए गए माक्र्स का भी पूरा ख्याल रखा जाए। 

"एमडीयू में प्रवेश प्रक्रिया को मजबूत बनाने के लिए कुलपति की ओर से इस बार प्रक्रिया को काफी पारदर्शी और आसान बनाया है। बच्चों को बाद में समस्या न हो, इसके लिए ही कुछ कड़े कदम उठाने पड़ रहे हैं।"--डॉ. एसपी वत्स, कुलसचिव, एमडीयू, रोहतक। 

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