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Wednesday 18 June 2014

अधिकारियों के चहेते टीचर शिक्षा निदेशालय में कर रहे लिपिक का कार्य : सरीन

शिक्षा विभाग में अधिकारियों की मिलीभगत से कुछ अध्यापक शिक्षा अधिकार कानून का उल्लंघन कर महानिदेशक प्राथमिक शिक्षा कार्यालय पंचकूला में डटे बैठे हैं।  
यह बात अध्यापक संघ के प्रदेशाध्यक्ष प्रदीप सरीन व महासचिव संजीव मंदौला ने कही। दोनों अध्यापक नेताओं ने बताया कि शिक्षा अधिकार कानून के आर्टिकल 27 के तहत किसी शिक्षक से शिक्षा देने के सिवाय कोई अन्य गैर शैक्षणिक कार्य नहीं लिया जा सकता। कुछ विशेष परिस्थितियों जैसे जनगणना प्राकृतिक आपदा या चुनाव में ही इस प्रकार का गैर शैक्षणिक कार्य लिया जा सकता है। परंतु कुछ अधिकारियों के चहेते अध्यापक प्राथमिक शिक्षा महानिदेशक की नाक के नीचे उनके कार्यालय में अपना स्कूल छोड़कर वर्षों से प्रतिनियुक्ति करवाकर लिपिकीय कार्यों में व्यस्त हैं। इस कार्य में उनकी क्या दिलचस्पी है यह तो वह अध्यापक या उनकी प्रतिनियुक्ति करने वाले अधिकारी ही बता सकते हैं परंतु शिक्षा विभाग में कानूनों की किस प्रकार से धज्जियां उड़ाई जा सकती हैं यह इसका जीता जागता उदाहरण है ये अध्यापक इस कार्यालय में क्यों प्रतिनियुक्त किए गए? किस द्वारा किए गए? यह तो विभाग ही बता सकता है अलबत्ता इस पूरे प्रकरण में भ्रष्टाचार की बू भी आती है। संघ के चेयरमैन कुलभूषण का कहना है कि यह केवल अध्यापकों का मामला ही नहीं है इसी प्रकार कि प्रतिनियुक्तियां उन लिपिकों कि भी शिक्षा कार्यालयों में अधिकारियों ने कर रखी हैं जिनके तबादले महानिदेशक समीरपाल सरों के समय में जिला व खंड शिक्षा कार्यालयों से डटे लिपिकों को स्कूलों में किया गया था। परन्तु कुछ समय बाद ही लिपिक अधिकारियों कि कृपा से फिर प्रतिनियुक्ति करवा कर अपने मनवांछित कार्यालयों मे आ गए। इससे यह तो साबित होता है कि शिक्षा में गुणात्मक सुधार का ढिंढ़ोरा पीटने वाले अधिकारी स्वयं कितना कानून का पालन करते हैं। शीघ्र ही इस बारे मुख्यमंत्री व शिक्षामंत्री से मिलकर इस सारे प्रकरण का खुलासा कर कार्रवाई का अनुरोध किया जाएगा।                                                     dbchrkhddri

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