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Tuesday 14 April 2015

न कंप्यूटर, इंटरनेट, कैसे हो सक्सेस 3 एस डाटाबेस

** एमआईएस पर सवाल : स्कूलों में इंटरनेट सुविधाओं के अभाव से असमंजस, क्लस्टर लेवल पर एसआईएम की नहीं हुई नियुक्ति 
** हाई स्कूलों तक इंटरनेट नहीं कैफे के लगा रहे चक्कर 
रेवाड़ी : स्कूल शिक्षा विभाग मैनेजमेंट इंफॉर्मेशन सिस्टम (एमआईएस) योजना से व्यवस्था को हाईटेक करने की तैयारी कर रहा है। लेकिन हकीकत पर नजर दौड़ाई जाए तो बहुत से स्कूलों में कंप्यूटर नहीं, कहीं हैं तो इंटरनेट नहीं, बहुत सी जगह इन्वर्टर ठप पड़े हैं। ऐसे में विभाग द्वारा निर्धारित समय में ही योजना के लागू हो पाने तथा पूरी तरह सक्सेस होने पर भी सवाल खड़े हा़े गए हैं। 
 इधर स्कूलों में स्कूल इंफॉर्मेशन मैनेजर्स (एसआईएम) की भी नियुक्ति हर ब्लॉक में इक्का दुक्का ही हुई है, जो कि योजना के अनुरूप नहीं हो पाने से भी काम आसान नहीं हुआ है। बता दें कि विभाग एमआईएस स्कीम लागू कर रहा है, जिसमें थ्री-एस डाटाबेस प्रणाली पर जोर दिया जाना है। थ्री-एस यानि स्कूल, स्टाफ स्टूडेंट्स। इसके तहत स्कूल से लेकर स्टूडेंट तक का पूरा रिकॉर्ड ऑनलाइन किया होगा। स्कूल और बच्चों के लिए यूनिक कोड यानि रजिस्ट्रेशन नंबर दिए जाएंगे। मगर इंटरनेट सुविधाओं के अभाव के चलते अभी खासी मशक्कत करनी होगी। 
स्कूलों में हाई तथा सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में कंप्यूटर लैब बनाई हुई हैं, लेकिन केवल सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में ही इंटरनेट की सुविधा दी गई है। इनमें बहुत से स्कूलों में तो ब्रॉडबैंड सुविधा है।, मगर प्राइमरी मिडिल स्कूलों में कंप्यूटर हैं और ही इंटरनेट की कोई सुविधा है। वहीं एसआईएम भी नियुक्त नहीं हो पाए हैं, इस कारण इन मुखियाओं के लिए स्कूल, स्टाफ, स्टूडेंट के साथ ही अन्य डाटा ऑनलाइन करा पाना चुनौती बना हुआ है। विभाग द्वारा पिछले दो माह से मंथली असेस्मेंट (टेस्ट) का परिणाम भी ऑनलाइन करने के आदेश दिए, जिसे स्कूल मुखियाओं या शिक्षकों ने साइबर कैफे पर जाकर या घर पर ही ऑनलाइन करना पड़ा। परेशानी के साथ ही शिक्षक की जेब पर भी भार पड़ रहा है। आगे सभी डाटा कैसे ऑनलाइन हो पाएगा, ये परेशानी वाली बात जरूर है। 
विभाग से जैसे निर्देश आएंगे, करेंगे लागू : डीईईओ 
"एमआईएसयोजना को पूरी तरह लागू करने को लेकर डाटा ऑनलाइन काम क्लस्टर लेवल पर एसआईएम द्वारा किया जाना था। मगर अभी एसआईएम काफी कम हैं। फिलहाल तो जैसे तैसे काम चल रहा है, मगर बिना सुविधा के परेशानी तो आएगी। अब आगे विभाग के जैसे निर्देश आएंगे उसी हिसाब से काम लागू कर काम किया जाएगा।"-- आरपीसांगवान, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी, रेवाड़ी। 
समस्या ये भी : दो साल से नहीं आया जनरेटर का तेल 
जिन स्कूलों में कंप्यूटर सुविधा उपलब्ध हैं उनमें से कुछ में समस्या ये भी है कि वहां जनरेटर या इन्वर्टर बेकार पड़े हैं। विभाग द्वारा करोड़ों खर्च कर स्कूलों में दो-तीन साल पहले बड़े जनरेटर रखवाए थे, एक दो बार तो जनरेटर चलाने के लिए राशि भेजी गई, मगर अब पिछले दो साल से विभाग द्वारा तेल राशि नहीं भेजी गई है। तब से ये जनरेटर स्कूलों में ही बेकार पड़े धूल फांक रहे हैं। इसके अलावा बहुत से स्कूलों में इन्वर्टर की बैटरी काम नहीं करती तो कहीं यूपीएस जवाब दे चुका है। ग्रामीण क्षेत्रों में वैसे ही बिजली की किल्लत रहती है। इस कारण जनरेटर-इन्वर्टर समस्याओं के चलते कंप्यूटर इंटरनेट सुविधा वाले स्कूलों में परेशानी के हालात रहते हैं। 
क्लस्टर पर होने थे एसआईएम नियुक्त, अभी गिने-चुने 
शिक्षाविभाग द्वारा प्रदेशभर में 4-5 स्कूलों पर एक क्लस्टर बनाया हुआ है। सभी जिलों में स्कूल इंफॉर्मेशन मैनेजर्स (एसआईएम) की नियुक्ति क्लस्टर स्तर पर होनी थी। इसके लिए वर्ष 2012-13 में इनकी नियुक्ति शुरू की गई। इस दौरान सभी ब्लॉक में गिने चुने ही एसआईएम लगाए जा सके। इसके बाद इनकी नियुक्ति प्रक्रिया थमी हुई है। बात जिले की करें तो में रेवाड़ी ब्लॉक में 7 तथा खोल ब्लॉक में 3 एसआईएम हैं। यहीं हाल जिला के तथा अन्य जिलों के ब्लॉकों में है। एसआईएम का काम है कि स्कूलों, स्टाफ स्टूडेंट्स का डाटा ऑनलाइन करने संबंधी सभी काम करेंगे। मगर अब इतने कम एसआईएम अपने ब्लॉक के सैकड़ों स्कूलों की जिम्मेारी अकेले नहीं उठा सकते।                                                                   db

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