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Sunday 13 December 2015

सरकारी स्कूलों में हर तीसरे बच्चे को एनिमिया

** बच्चों का स्वास्थ्य जांच में स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट का खुलासा 
रेवाड़ी : सरकारी स्कूल के हर तीसरे बच्चे में खून की कमी है। बात चौंकाने वाली जरूर है, मगर हकीकत है। यह खुलासा स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट से हुआ है। बच्चों के खान-पान को लेकर अभिभावक कितना सतर्क हैं, यह इस रिपोर्ट से जाहिर है। वहीं 17 फीसदी बच्चों में दांतों की बीमारी भी पाई गई है। यह केवल स्वास्थ्य विभाग, बल्कि अभिभावकों के लिए भी चिंतन का विषय है। विभाग की टीम द्वारा 12वीं तक के करीब 42 हजार बच्चों की जांच की गई थी। इसमें सीधे तौर से बच्चों में पनप रही बीमारियाें की बात सामने आई है। 
विभाग द्वारा बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर सर्वे किया गया था, जिसमें जुलाई से लेकर अक्टूबर माह तक 42 हजार बच्चों को कवर किया गया था। इस जांच में पहली से 12 वीं कक्षा तक के विद्यार्थियों की हेल्थ रिपोर्ट तैयार की गई थी। रिपोर्ट में चौंकाने वाली बात सामने आई कि करीब 30 प्रतिशत बच्चों में खून की कमी हैै। इतना ही नहीं बच्चों में अन्य बीमारी की बात भी रिपोर्ट में निकलकर आई है। जिनमें खून की कमी के बाद दांतों की बीमारी से 17 फीसदी बच्चे पीड़ित पाए गए। कई बच्चों में त्वचा, कान, दमा खांसी के रोग भी पाए गए हैं। 
ये बीमारी मिली बच्चों में 
खूनकी कमी - 12539 
दांतों की बीमारी- 7273 
स्किन - 870 
कान - 339 
दमा-खांसी - 73 
खून की शरीर में ये मात्रा 
डॉक्टर्स के मुताबिक एनिमिया की 3 कैटेगरी हैं। जिनमें 10 से 12 ग्राम के बीच में खून की मात्रा मिले तो यह माइल्ड एनिमिया, 8 से 10 ग्राम के बीच में खून की मात्रा है तो वह मॉडरेट एनिमिया और अगर खून की मात्रा 8 ग्राम से नीचे है तो गंभीर एनिमिया में आता है। जिला में 7 मोबाइल टीम प्रत्येक स्कूल में जाकर बच्चों के स्वास्थ्य की जांच करती है। 
6 से 18 साल के बच्चों में बीमारियों के लिए बरतें सावधानी 
त्वचा संबंधी बीमारी: 
स्केबिज-नागरिकअस्पताल में त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. मनोज कुमार के मुताबिक इस बीमारी का छोटा सा कीड़ा होता है और इसके कारण गर्दन से नीचे खुजली रहने लगती है। रात के समय ज्यादा चलने के साथ ही यह फैलने वाली बीमारी है। 
बच्चों में खून की कमी के कारण: 
डॉक्टर्सके मुताबिक विटामिन की कमी, फॉलिक एसिड की कमी से भी बच्चों में खून की कमी जाती है। वहीं कुछ बच्चों में खून बनता ही नहीं है। यह जेनेटिक समस्या होती है। 
दांतों की बीमारी : 
नागरिक अस्पताल में डेंटल सर्जन डॉ. चेष्टा यादव के अनुसार बच्चों के दांतों में कीड़ा लगना, दांत खराब रहने, पायरिया अन्य बीमारी अधिक मिलती है। अस्पताल में रोजाना इन बीमारियों के लगभग 40 बच्चें इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। 
एटोपिकडर्मेटाइटिस : 
यहबीमारी बच्चे में एक साल के अंदर होने लग जाती है। इसमें त्वचा में सूखापन रहता है और खुजली हो जाती है। गर्मी में कम रहती है और सर्दी में बढ़ जाती है। डॉक्टर्स के मुताबिक ठंड में खेलने से काफी बच्चों के हाथ पैर में सूजन जाता है और नीलापन सा रहने लगता है। 
गंभीर बच्चों को करते हैं रेफर : कार्यक्रम अधिकारी 
"स्कूलों में माेबाइल टीम द्वारा जांच में जो बच्चे गंभीर बीमारी के मिलते हैं, उन्हें नागरिक अस्पताल में बनाए गए शीघ्र हस्तक्षेप केंद्र में इलाज के लिए रेफर किया जाता है। वहीं जिनमें मामूली बीमारी मिलती है, उन्हें वहीं उपचार दे दिया जाता है। खून की कमी के बच्चों को आयरन की गोली भी दी जाती है और बच्चों को स्वास्थ्य की देखभाल के बारे भी परामर्श दिया जाता है। अभिभावकों को भी अपने बच्चों के खान-पान पर विशेष ध्यान देना चाहिए।"-- डॉ.धर्मेंद्र कुमार, डिप्टी सिविल सर्जन एवं आरबीएसके अधिकारी,रेवाड़ी। 
ऐसे करें बचाव 

  • ठंडे पानी से बार-बार हाथ-पैर नहीं धोएं। 
  • एक दूसरे के कपड़े बदलकर नहीं पहने। 
  • सर्दी में ज्यादा गर्म पानी से नहीं नहाए। 
  • नहाने के बाद त्वचा को तौलिए से ज्यादा रगड़े भी नहीं। 
  • त्वचा संबंधी बीमारी के लिए बेहतर विशेषज्ञ डॉक्टर्स को ही दिखाएं। 

उपाय: 
खान-पानपर विशेष ध्यान दें और पौष्टिक आहार का सेवन करें, विटामिन की पूर्ति के लिए फल-फ्रूट हरे पत्तेदार सब्जियों का सेवन करें, बेहतर चिकित्सक को दिखाएं और उचित परामर्श लें।                                                                  db 

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