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Thursday 15 September 2016

राज्य के 72 कॉलेजों में मुखिया ही नहीं

चंडीगढ़ : राज्य के सरकारी स्कूलों में ही नहीं बल्कि कॉलेजों में भी स्टॉफ का टोटा है। प्रदेश के 72 ऐसे कॉलेज हैं, जो बिना मुखिया के चल रहे हैं। 75 प्रतिशत के करीब कॉलेजों में प्राचार्य के पद लम्बे समय से खाली हैं। यही नहीं, सहायक प्रोफेसर के भी 40 प्रतिशत से अधिक पद रिक्त पड़े हैं। इन पदों को निकट भविष्य में भरे जाने की संभावना भी कम ही नज़र आती है।
राज्य में कुल 110 सरकारी कॉलेज हैं। इनमें 95 कॉलेज ऐसे हैं, जो पिछले कई वर्षों से चल रहे हैं और बाकी के कॉलेजों की स्थापना पिछले कुछ महीनों के दौरान हुई है। कई नये कॉलेज तो ऐसे हैं जिनमें प्राचार्य के पद भी सृजित नहीं हुए हैं। उच्चतर शिक्षा विभाग के रिकार्ड अनुसार प्रदेश में प्राचार्यों के कुल 95 पद स्वीकृत हैं। इन पदों में से केवल 23 ही कॉलेजों में प्राचार्य नियुक्त हैं। बाकी के 72 कॉलेज बिना मुखिया (प्राचार्य) के लिए चल रहे हैं।
इसी तरह से सहायह प्रोफेसर के कुल 4112 पद स्वीकृत हैं। इन पदों में से 2356 पदों पर ही सहायक प्रोफेसर कार्यरत हैं। राज्य में सहायक प्रोफेसर के 1756 पद पिछले कई वर्षों से खाली पड़े हैं। प्राचार्यों के पद पदोन्नति से भी भरे जाने हैं लेकिन पदोन्नति के मामले लटके होने की वह से कॉलेजों को प्राचार्य नहीं मिल रहे हैं। कॉलेजों में स्टॉफ की कमी की वजह से विद्यार्थियों की पढ़ाई बाधित हो रही है। हरियाणा विधानसभा में भी स्टॉफ की कमी का मुद्दा उछल चुका है।
कॉलेजों में तृतीय व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के भी 50 से लेकर 75 प्रतिशत तक पद खाली हैं। इस वजह से रुटीन के कार्य भी लटके रहते हैं। पुस्तकॉलय कॉडर के श्रेणी तीन के कर्मचारियों के कुल 304 स्वीकृत पदों में से 88 पदों पर ही स्टॉफ कार्यरत है। बाकी के 216 पद खाली पड़े हैं। इसी कॉडर के चतुर्थ श्रेणी के स्वीकृत पदों की संख्या 118 हैं और इनमें से 55 खाली हैं। यानी केवल 63 ही पदों पर स्टॉफ मौजूद है।
एनसीसी (नेशनल कैटेड कोर) की यूनिट प्रदेश के अधिकांश कॉलेजों में हैं। एनसीसी के सर्टिफिकेट के अंक फौज व पुलिस की भर्ती में भी काफी काम आते हैं लेकिन एनसीसी स्टॉफ की भी भारी कमी कॉलेजों में है। तृतीय श्रेणी के 268 स्वीकृत पदों में से 98 पद खाली पड़े हैं। इस वर्ग के 170 कर्मचारी ही कार्यरत हैं। चतुर्थ श्रेणी के 26 पदों में से 10 खाली हैं और केवल 14 पर ही स्टॉफ कार्यरत है।
इसी तरह से कॉलेज कैडर के तृतीय श्रेणी के 1266 पदों में से 696 खाली हैं। यह आंकड़ा करीब साठ प्रतिशत है। तृतीय श्रेणी के केवल 570 लोग ही मौजूद हैं। इस वजह से इन कर्मचारियों पर वर्कलोड भी बढ़ा हुआ है। चतुर्थ श्रेणी के हालात भी कुछ ऐसे ही हैं। चतुर्थ श्रेणी के 849 स्वीकृत पदों में से केवल 400 पर ही कर्मचारी कार्यरत हैं। 449 पद बरसों से खाली ही पड़े हैं। शिक्षा मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा का कहना है कि खाली पदों को जल्द ही भरा जाएगा।                                                                  dt

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