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Wednesday 26 March 2014

तीन महीने में नियुक्त हों 72,825 शिक्षक : सुप्रीम कोर्ट

** भर्ती का इंतजार कर रहे लोगों को मिली खुशखबरी
नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश में टीईटी परीक्षा पास कर प्राथमिक शिक्षक के तौर पर भर्ती का इंतजार कर रहे लोगों के लिए खुशखबरी है। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को तीन महीने के भीतर प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती करने का आदेश दिया है।
मंगलवार को ये अंतरिम आदेश न्यायमूर्ति एचएल दत्तू की अध्यक्षता वाली पीठ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली उत्तर प्रदेश सरकार की याचिका विचारार्थ स्वीकार करते हुए जारी किए। कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा कि वह प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती के हाईकोर्ट के आदेश का पालन करे। हालांकि, कोर्ट ने प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया 31 मार्च तक पूरी करने के हाईकोर्ट के आदेश में थोड़ी राहत देते हुए राज्य सरकार को प्रक्रिया पूरी करने के लिए 12 सप्ताह यानी तीन महीने का समय दे दिया है। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार की याचिका में उठाए गए व्यापक मुद्दे पर बाद में विचार किया जाएगा।
इससे पहले सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश वकील ने हाई कोर्ट के आदेश का विरोध करते हुए कहा कि अखिलेश सरकार द्वारा नियमों में किया गया संशोधन ठीक है। सरकार को नियमों में बदलाव करने का हक है। लेकिन, पीठ ने मंगलवार को मामले की मेरिट पर सुनवाई टालते हुए सरकार से हाईकोर्ट के आदेश का पालन करने को कहा। जब राज्य सरकार ने 31 मार्च तक भर्ती प्रक्रिया पूरी करने में असमर्थता जताई तो कोर्ट ने समय बढ़ाते हुए प्रक्रिया पूरी करने के लिए 12 सप्ताह का समय दे दिया। प्राथमिक स्कूलों में भर्ती का यह मामला करीब ढाई साल पुराना है। मायावती सरकार ने नवंबर 2011 में प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों की 72,825 रिक्तियां निकाली। सरकार ने बेसिक सर्विस रूल में 12वां संशोधन कर व्यवस्था कर दी कि बीएड करने वाले जो अभ्यर्थी टीईटी परीक्षा पास करेंगे उन्हें रिक्तियों के अनुक्रम में नियुक्ति दी जाएगी। इस बीच सूबे में सरकार बदल गई और अखिलेश सरकार ने नियमों मे फिर संशोधन किया जिसमें कहा गया कि टीईटी परीक्षा के अलावा दसवीं, बारहवीं और अन्य परीक्षाओं के अंक भी मेरिट में विचार किए जाएंगे। कुछ अभ्यर्थियों ने अखिलेश सरकार के संशोधन को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अखिलेश सरकार द्वारा बेसिक सर्विस रूल में किये गए पंद्रहवें संशोधन को निरस्त कर दिया था।
"ये नियुक्तियां सुप्रीम कोर्ट के अंतिम आदेश के अधीन होंगी और फैसला विपरीत आने पर नियुक्ति पाने वाले लोग नौकरी करने के आधार पर किसी तरह की राहत की मांग नहीं करेंगे।"--सुप्रीम कोर्ट                                                 dj

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