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Sunday 30 March 2014

प्रशिक्षु शिक्षक जेब से पैसे खर्च कर पढ़ा रहे बच्चों को

** जेबीटी करने वालों को एक साल इंटर्नशिप के लिए मानदेय देने का किया गया था दावा
** हजारों अभ्यर्थी लाभ से वंचित रहे 
रेवाड़ी : जेब से पैसे भी खर्च करो और मुफ्त में स्कूलों में पढ़ाने भी जाओ। जिक्र किसी सामाजिक कार्यकत्र्ता का नहीं, बल्कि ये हकीकत है सरकारी स्कूलों में इंटर्नशिप करने वाले जेबीटी शिक्षकों की। 
अनुभवी व कुशल शिक्षक तैयार करने के लिए शिक्षा विभाग द्वारा प्रशिक्षु शिक्षकों के लिए सरकारी स्कूलों में एक साल तक टीचिंग अनुभव अनिवार्य किया गया है। उस वक्त इन प्रशिक्षु शिक्षकों को इंटर्नशिप के दौरान प्रतिमाह कुछ मानदेय देने के दावे भी किए गए। अब 2 बैच निकलने के बाद भी इन भावी शिक्षकों को मानदेय दिया जाना तो दूर, उल्टा ये शिक्षक जेब से पैसे खर्च कर बच्चों को पढ़ा रहे हैं। 
 विभाग की ओर से प्रशिक्षु शिक्षकों को मानदेय दिए जाने के दावों के बाद निर्देश तक जारी नहीं किए जा सके हैं। जबकि अन्य विभागों में इंटर्नशिप करने वाले अभ्यर्थियों को मानदेय दिया जाता है। ऐसे में जेबीटी शिक्षकों को उनके साथ ही दोहरा मापदंड काफी अखर रहा है। 
मानदेय दिए जाने का किया दावा 
वर्ष 2010 से पहले बीए आधार पर ही जेबीटी होती थी। इसके बाद 12वीं के बाद 2 साल का डिप्लोमा तथा 1 साल सरकारी विद्यालय में इंटर्नशिप लागू कर दिया गया। यानि 12वीं के बाद दो साल तक डिप्लोमा कर एक साल के लिए अभ्यर्थियों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाना था। खुद अधिकारियों की माने तो इंटर्नशिप के दौरान इन प्रशिक्षु शिक्षकों को शिक्षण के एवज में कुछ मानदेय दिए जाने की भी बात कही गई। उस समय विभाग की ओर से इन शिक्षकों को 3 से 6 हजार तक मानदेय दिए जाने की संभावना जताई गई थी। हालांकि इसके बाद से जेबीटी शिक्षकों को मानदेय की घोषणा का इंतजार है, मगर अभी तक विभाग की ओर से किसी प्रकार के निर्देश जारी नहीं किए जा सके हैं। 
एसएसए के तहत दिए जाने की थी सूचना: डीईईओ 
"हां, कोर्स की शुरूआत में उच्च स्तर पर 4-5 हजार रुपए इंटर्नशिप के दौरान दिए जाने को लेकर विचार किए जाने की बातें सामने आई थीं। ये भी सूचना थीं कि सर्व शिक्षा अभियान के तहत मानदेय दिया जा सकता है, लेकिन विभाग की ओर से हमारे पास इसे लेकर कोई लिखित निर्देश नहीं आए हैं। यदि उनके पास जेबीटी शिक्षक लिखित में मांग रखते हैं, तो वे विभाग को इससे अवगत कराएंगे।"--रामकुंवार फलसवाल, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी, रेवाड़ी। 
कम से कम एक्सपेंसेज तो मिले 
"प्रोफेशनल कोर्सेज में इंटर्नशिप के दौरान कैंडीडेट को मानदेय मिलता है। जेबीटी में भी एक तरह से प्रशिक्षु शिक्षक बच्चों को फ्री में पढ़ा रहे हैं। जब सरकार से मोटा वेतन लेने वाले शिक्षकों की जगह ये प्रशिक्षु पढ़ाते हैं, तो उन्हें कम से एक्सपेंसेज (आने-जाने का किराया) तो दिया जाना चाहिए। यानि सेवाओं के बदले प्रतिमाह कम से कम इन्हें 15 सौ से 2 हजार रुपए तक मानदेय तो मिलना चाहिए।"--डॉ. रविंद्र, असिस्टेंट प्रोफेसर, आईजी यूनिवर्सिटी, रेवाड़ी। 
सरकारी तंत्र की कछुआ गति से लागू होने वाली योजनाओं के चलते अब तक हजारों जेबीटी अभ्यर्थी नुकसान झेल चुके हैं। जेबीटी अध्यापकों की सरकारी स्कूलों में इंटर्नशिप के तहत वर्ष 2010-11 में 12वीं के बाद जेबीटी में दाखिला लेकर वर्ष 2012-13 में एक बैच बच्चों को पढ़ा चुका है, वहीं वर्तमान में दूसरा बैच चल रहा है, जिनकी इंटर्नशिप जुलाई तक पूरी हो जाएगी। अकेले रेवाड़ी जिला में ही 23 जेबीटी कॉलेज हैं। इनमें 22 निजी तथा एक डाइट। इनमें गत् वर्ष 1250 अभ्यर्थियों ने सरकारी स्कूलों में इंटर्नशिप किया तथा करीब इतनों की ही इंटर्नशिप चल रही है। ये प्रशिक्षु शिक्षक खुद किराया भरकर स्कूलों तक पहुंचते हैं तथा खुद ही इस दौरान अन्य खर्चे करते हैं। उन्हें विभाग की ओर से किसी प्रकार की आर्थिक सहायता नहीं मिलती। बात प्रदेशभर की करें तो अंदाजा लगाना सहज है कि प्रदेशभर के करीब 400 जेबीटी कॉलेजों से कितने जेबीटी शिक्षक सरकारी उपेक्षा का शिकार हुए हैं।                                              db

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