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Thursday 24 September 2015

अब शिक्षक बनने से भी हुआ मोह भंग, कॉलेजों में आधी सीटें खाली

** 4400 सीटों के लिए 2130 विद्यार्थियों ने ही किया है आवेदन 
सोनीपत : पहले डिग्री कॉलेजों को विद्यार्थी नहीं मिले (21 सितंबर तक हुए दाखिले), फिर इंजीनियरिंग में भी सीटें खाली रह गईं (तीन कॉलेज बंद हुए)। 
प्रबंधन कोर्स में विद्यार्थियों का मानो अकाल (छोटूराम विवि में भी पूरे नहीं हुए दाखिले) ही पड़ गया और अब शिक्षक बनने के लिए करवाए जाने वाला बीएड कोर्स जिसमें दाखिले के लिए मारामारी की स्थिति रहती थी अब वहां भी कॉलेज विद्यार्थियों का इंतजार कर रहे हैं। बीएड के हर कॉलेज एवं संबंधित की ओर से हर संभव प्रयास के बावजूद सोनीपत में करीब आधी सीटें अब तक नहीं भर सकी है। प्रदेश सरकार के निर्देश पर हर साल अलग-अलग यूनिवर्सिटी बीएड कोर्स कंडक्ट कराती है। इस बार चौधरी रणबीर सिंह यूनिवर्सिटी, जींद द्वारा आवेदन मांगे जा रहे हैं। विद्यार्थियों के पास आवेदन के लिए अब सिर्फ एक ही दिन बाकी हैं। सोनीपत में 36 बीएड कॉलेज हैं। जिनमें 4400 सीटें है, लेकिन तीन काउंसलिंग बीतने के बाद भी 2272 सीटें रिक्त है। विद्यार्थी 24 सितंबर तक आवेदन कर सकते हैं। 
कॉलेज संचालकों के लिए भी परेशानी 
सभी कॉलेजों को नेशनल टीचर काउंसिल की ओर से निर्देश है कि 16 शिक्षकों की नियुक्ति की जाए। विद्यार्थियों को सभी आवश्यक सुविधाएं मुहैया करवाई जाएं तथा यह सब पूरा करने के बाद उसकी सूचना 31 अक्टूबर तक एनसीटी कार्यालय में दी जाए। यह भी बताया जाए कि अगले दो साल में कौन से शिक्षक विद्यार्थियों को पढ़ाएंगे। कॉलेज मुखिया इसलिए परेशान हैं कि जब विद्यार्थी ही कम होंगे तो पूरा स्टाफ कैसे लगाएंगे। अपनी पीड़ा को कॉलेजों की ओर से वर्कलोड की रिपोर्ट बनाई है। हिंदू शिक्षण महाविद्यालय की ओर से यह रिपोर्ट एनसीटी, डीएचई में भेजी गई है, लेकिन वहां से जवाब कोई नहीं आया है। परेशानी यहीं खत्म नहीं होती, प्राध्यापक की नियुक्ति के आधार को एचआरडी की ओर से अब तक स्पष्ट नहीं किया गया है। 
"प्रदेश में करीब 32 हजार सीटें खाली है। कोर्स को दो साल का करने के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है। इस पर विद्यार्थी पर आर्थिक बोझ भी बढ़ा है। हमारे लिए भी कड़ी शर्तें लागू की गई हैं। जिससे हालात अनुकूल नहीं है। सरकार को इस बारे में सोचना चाहिए।''-- रेणु गुप्ता,प्रिंसिपल हिंदू शिक्षण महाविद्यालय,सोनीपत। 
इसलिए हुए विद्यार्थी बीएड से दूर 

  • पहले एक साल के लिए 40 से 50 हजार रुपए तक फीस देने होती थी, जबकि इस बार एक साल के लिए 44 हजार रुपए फीस निर्धारित है। अगली साल भी करीब इतनी ही फीस देनी होगी। इसमें कॉलेजों द्वारा लिया जाने वाला चार्ज भी जुड़ेगा। 
  • बीएड कोर्स दो साल का कर दिया गया है। युवाओं को कोर्स का दो साल लंबा पीरियड रास नहीं रहा। इससे एक साल में बीएड पूरी कर युवाओं को डिग्री मिल जाती थी। अब युवाओं को डेढ़ साल पढ़ाई के बाद 6 माह की इंटर्नशिप करनी होगी। 
  • अटेंडेंस पर सख्ती होने लगी है। उपस्थिति के रजिस्टर स्कैन करवा मंगवाए जाते हैं। सेल्फ फाइनेंस कॉलेजों में वे विद्यार्थी जो अन्य काम के साथ बीएड करते थे उनको परेशानी हो गई, उस पर दो साल तक उसे निभाना मुश्किल नजर रहा है।                                                                    db 

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