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Sunday 20 September 2015

सरकारी स्कूलों की हालत बहुत दयनीय

** बताई हकीकत : पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी वीरेंद्र सिंह ने सीएम मनोहर लाल को लिखा खुला पत्र,  स्कूलों में बढाना होगा व्यवस्थायों का स्तर 
रोहतक : प्रदेश में सरकारी और गली-गली में खुले निजी स्कूलों की दयनीय स्थिति को लेकर हर कोई चिंतित रहता है, लेकिन सरकार को सचेत करने से लेकर सुझाव करने तक कोई पहल नहीं करता। कुछ ऐसा ही मामला सामने आया है, जब शिक्षा विभाग से सेवानिवृत जिला शिक्षा अधिकारी वीरेंद्र सिंह ने सीएम मनोहर लाल को एक खुला पत्र लिखा है। 
सीएम को लिखे पत्र में कहा है कि स्कूलों में अव्यवस्थाओं का इस कद्र बोलबाला है कि कोई भी व्यक्ति जल्द से अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाने को तैयार ही नहीं होता। आज केवल जरूरतमंद लोग ही अपने बच्चों को कम फीस की वजह से सरकारी स्कूलों में भेजते हैं। इसलिए यदि शिक्षा का स्तर बढ़ाना है तो सरकारी स्कूलों में व्यवस्थाओं का स्तर बढ़ाना होगा। अगर यही स्थिति रही तो समाज का ताना बाना नष्ट हो जाएगा। 
निजी विद्यालय किसी ना किसी बहाने भारी फीस वसूलते हैं। बच्चों का प्राइवेट स्कूलों में दाखिला करवाने के लिए बड़ी बड़ी सिफारिशें लगानी पड़ती हैं। मोटी रकम देनी पड़ती है। कई तरह के फंड लिए जाते हैं। यह सब एक आम आदमी की हद से बाहर है।
शैक्षणिक पदों का वैज्ञानिकीकरण जरूरी
शिक्षा प्रणाली में सुधार के लिए शैक्षणिक पदों के वैज्ञानिकीकरण करना होगा। इससे शिक्षकों की कमी दूर होगी और खाली बैठे अध्यापकों को कार्य मिलेगा। जिला शिक्षा अधिकारियों को समायोजन की शक्तियां देनी चाहिए ताकि सेवानिवृति या पदोन्नति पर पद खाली ना रहें। साथ ही उच्च विद्यालयों से लेक्चरर के पद समाप्त करने होंगे। इसके कारण स्कूलों में झगड़े बढ़े हैं और कार्य कुशलता पर बुरा प्रभाव पड़ा है।                                                                                                   hb

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