** बड़ा कारण स्कूलों में शिक्षकों की कमी होना, 9वीं से 12वीं तक में शिक्षकों की ज्यादा कमी
** 6 साल में सरकारी स्कूलों में घटी 6 लाख से ज्यादा छात्रों की संख्या, एक साल में ही 3 लाख
** अंग्रेजी से लेकर गणित पढ़ाने वाले नहीं, प्रदेश में 50 हजार से ज्यादा शिक्षकों के पद खाली
जींद : राज्य सरकार और शिक्षा विभाग सरकारी
स्कूलों में िवद्यार्थियों की संख्या बढ़े इसके लिए हर साल नई योजनाएं और
तरीके अपनाए जाते हैं। इसके बाद भी सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की
संख्या में इजाफा नहीं हो पा रहा। इसका कारण एक ही है कि सरकारी स्कूलों
में विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए शिक्षक ही नहीं है। हालात यह हैं कि
प्रदेश के कुल 14 हजार 390 सरकारी स्कूलों में इस समय 50 हजार से ज्यादा
शिक्षकों के पद खाली पड़े हैं। अनेक सरकारी स्कूल ऐसें हैं, जहां लंबे समय
से हिंदी, अंग्रेजी से लेकर गणित, फिजीक्सि, केमस्ट्री तक पढ़ाने वाले
शिक्षक नहीं है।
समय-समय पर गांव की पंचायत व अभिभावक इस पर स्कूलों को
तालाबंदी व अन्य तरीके से विरोध भी जताते हैं। इसके बाद भी स्कूलों में
शिक्षकों के खाली पदों पर नियुक्ति नहीं हो पाती। इतना जरूर है कि जिस गांव
के ग्रामीणों ने ज्यादा विरोध किया। वहां आसपास के स्कूल से शिक्षक की
नियुक्ति कर दी जाती है और फिर उस स्कूल में शिक्षक का पद खाली हो जाता है।
इसका असर बोर्ड की 10वीं व 12वीं कक्षा के परीक्षा परिणाम पर पड़ेगा। इसी
कारण अभिभावक चाहकर भी सरकारी स्कूलों में बच्चों को दाखिला नहीं दिलवा रहे
हैं। परिणाम यह है कि छह साल के अंदर प्रदेश में सरकारी स्कूलों में
विद्यार्थियों की संख्या 6 लाख से भी कम हो गई है। इन बीते छह सालों में
शैक्षणिक सत्र 2015-16 ऐसा रहा, जिसमें एक ही साल में 3 लाख 81 हजार 737
विद्यार्थी सरकारी स्कूलों में कम हो गए। प्राइवेट स्कूलों में महंगी फीस
है। इसके बावजूद अभिभावक बच्चों की पढ़ाई को लेकर कोई रिस्क नहीं उठाना
चाहते।
9वीं से12वीं तक में शिक्षकों की ज्यादा कमी
प्रदेश
में शिक्षकों की ज्यादा कमी का सामना 9वीं से 12वीं कक्षा के
विद्यार्थियों को करना पड़ रहा है। सरकार ने हाई स्कूलों को सीनियर सेकंडरी
स्कूलों में अपग्रेड कर दिया, पर इनमें विभिन्न विषयों के जूनियर लेक्चरर
नियुक्ति नहीं किए। प्रदेश में अभी 15,333 लेक्चर के पद खाली हैं। कई स्कूल
ऐसे हैं, जहां सांइस, कॉमर्स संकाय है, लेकिन लेक्चर न होने के कारण
विद्यार्थियों की पढ़ाई नहीं हो पा रही।
25 छात्रों पर एक टीचर की नियुक्ति का नियम
खंड
मौलिक शिक्षा अधिकारी परणिता मधोक बताती हैं कि प्राइमरी स्कूलों में पहली
से पांचवी कक्षा तक 25 छात्रों पर एक टीचर की नियुक्ति का नियम बनाया है।
इसी तरह से मिडल, हाई और सीनियर सेकंडरी स्कूलों में शिक्षा विभाग ने 40
विद्यार्थियों पर विभिन्न विषयों के एक-एक शिक्षक की नियुक्ति और छात्र
संख्या ज्यादा होने पर दूसरा सेक्शन बनेगा और फिर उसी हिसाब से शिक्षकों की
नियुक्ति होगी।
पता कराएंगे कहां-कहां है शिक्षकों की कमी
"रेशनलाइजेशन
के बाद स्कूलों में टीचरों की कमी काफी हद तक दूर कर दी गई थी। अब प्रदेश
के कहां और किन स्कूलों में शिक्षकों की कमी है। इसका पता करवाया जाएगा और
उसके बाद जहां जरूरत होगी, वहां शिक्षकों की नियुक्ति कर दी जाएगी।
शिक्षकों की कमी को दूर-दूर करने के लिए विभाग और सरकार समय-समय पर भर्ती
भी करता रहता है"-- राजीव रत्तन, डायरेक्टर, शिक्षा विभाग
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