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Sunday, 6 May 2018

अनुसूचित जाति के कर्मियों की 23 साल बाद पदोन्नति

** चार महीने में सभी विभागों, बोर्ड निगमों और सरकारी कंपनियों में बैकलॉग पूरा होगा
** अनिल कुमार कमेटी की सिफारिशें ग्रुप सी और डी में लागू

चंडीगढ़ : राज्य में 23 साल से पदोन्नतियों का इंतजार कर रहे अनुसूचित जाति वर्ग के कर्मचारियों को सरकार ने बड़ी राहत दी है। चार महीने के भीतर पदोन्नति के सभी केस निपटाए जाएंगे। अनुसूचित जाति के कर्मचारियों को पदोन्नति के लिए गठित आइएएस अनिल कुमार की कमेटी की रिपोर्ट ग्रुप सी और डी के कर्मचारियों पर लागू होगी। 
मुख्य सचिव डीएस ढेसी ने सभी प्रशासनिक सचिव, विभागाध्यक्ष, हाई कोर्ट और विश्वविद्यालयों की रजिस्ट्रार, मंडलायुक्त, डीसी-एसडीएम और बोर्ड-निगमों व सरकारी कंपनियों के प्रबंध निदेशकों को इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं। इसके मुताबिक सभी सरकारी महकमों, बोर्ड-निगमों और स्वायत्त निकायों में 17 जून 1995 से अभी तक की पदोन्नतियों के बैकलॉग को पूरा किया जाएगा। अनुसूचित जाति के कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व किसी भी समय काडर में पदों के बीस फीसद से अधिक नहीं होना चाहिए। प्रदेश सरकार ने पदोन्नति के मामलों में अनुसूचित जातियों के कर्मचारियों के पिछड़ेपन और अपर्याप्त प्रतिनिधित्व की जांच के लिए 31 मार्च 2006 को आइएएस राघवेंद्र राव की अध्यक्षता में कमेटी बनाई थी जिसने करीब साढ़े छह साल बाद 23 दिसंबर 2013 को अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी। तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने रिपोर्ट को मानते हुए 15 मई 2015 को पात्र कर्मचारियों को पदोन्नति देने का निर्देश जारी किया, लेकिन मामला हाईकोर्ट चला गया जहां 12 दिन बाद ही इस पर रोक लग गई। 
इसके बाद पिछले साल 20 मार्च को मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सीनियर आइएएस अनिल कुमार की अध्यक्षता में कमेटी गठित थी। इस समिति की रिपोर्ट को प्रदेश सरकार ने ग्रुप सी और डी के पदों के संबंध में भी स्वीकार कर लिया है। सरकार के इस फैसले से अनुसूचित जाति कर्मचारियों की पदोन्नति का रास्ता खुल गया है।

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