** हिंदी में
इंजीनियरिंग की
किताबें तैयार करने की भी शुरू की
** तकनीकी संस्थानों को मिलेगी हिंदी माध्यम में कोर्स शुरू करने की अनुमति
नई दिल्ली : अब अंग्रेजी के साथ-साथ हिंदी माध्यम में भी इंजीनियरिंग की
पढ़ाई हो सकेगी। तकनीकी संस्थानों को इससे जुड़े कोर्स को अब हिंदी माध्यम
में पढ़ाने की भी स्वतंत्रता मिलेगी। सरकार ने इसे लेकर तकनीक संस्थानों
को सहूलियत दी है। साथ ही इसे प्रोत्साहित करने के लिए इंजीनियरिंग से
जुड़ी किताबों को हिंदी में तैयार करने की भी की है। सरकार का मानना है कि
इससे छात्रों में इंजीनियरिंग को लेकर रुझान और बढ़ेगा, क्योंकि अभी भाषाई
दिक्कत के चलते बड़ी संख्या में छात्र इंजीनियरिंग की पढ़ाई से कतराते
हैं।
इंजीनियरिंग की पढ़ाई हिंदी माध्यम में कराने की यह अखिल भारतीय
तकनीकी शिक्षा परिषद (एआइसीटीई) ने की है। हाल ही में सरकार ने इसे मंजूरी
दी है। हालांकि, संस्थानों पर इसे जबरन नहीं थोपा जाएगा। वह अपनी मर्जी से
अपने संस्थान में इंजीनियरिंग की पढ़ाई हिंदी और अंग्रेजी में से किसी भी
माध्यम में कराने के लिए स्वतंत्र रहेंगे। एआइसीटीई का मानना है कि यह
काफी े होनी चाहिए थी, लेकिन इसकी राह में सबसे बड़ी बाधा पाठ्य पुस्तकों
की कमी थी। जिसे अब दूर करने की कोशिश की जा रही है।
इंजीनियरिंग से जुड़ी
किताबों को हिंदी में तैयार करने वाले लेखकों को प्रोत्साहित किया जा रहा
है। पिछले दिनों केंद्रीय मंत्री सत्यपाल सिंह ने इसी कड़ी में इंजीनियरिंग
पाठ्यक्रम से जुड़ी किताबों को तैयार करने वाले लेखकों को पुरस्कृत भी
किया है। माना जा रहा है कि सरकार की इस
से इंजीनियरिंग संस्थानों को
उबारने में भी मदद मिलेगी, क्योंकि मौजूदा समय में देश के बड़ी संख्या में
सीट खाली रह जाने से कई इंजीनियरिंग कॉलेज बंद हो रहे हैं।
गौरतलब है कि
तकनीकी शिक्षा से जुड़े आइआइटी और इंजीनियरिंग कॉलेजों का संचालन एआइसीटीई
के नियमों के तहत होता है। इन्हें अपने यहां संचालित होने वाले हर कोर्स की
अनुमति एआइसीटीई से लेनी होती है।
"एआइसीटीई से जुड़े किसी भी कोर्स को
हिंदी में पढ़ाने पर अब कोई प्रतिबंध नहीं है। कोई भी संस्थान हिंदी माध्यम
में इसकी पढ़ाई करा सकता है।"-- प्रो. अनिल सहत्रबुद्धे, अध्यक्ष, एआइसीटीई
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.