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Sunday, 28 October 2018

इलाज की मंजूरी के लिए नहीं किया जा सकता इंतजार

नई दिल्ली : शिक्षा विभाग के गैर सूचीबद्ध अस्पताल से इलाज कराने पर सेवानिवृत्त कर्मचारी को मेडिकल क्लेम नहीं दिया गया। इस पर उपभोक्ता आयोग ने टिप्पणी करते हुए कहा कि आपात स्थिति में इलाज के लिए मंजूरी का इंतजार नहीं किया जा सकता। मरीज का दिल पूरी तरह से ब्लॉक था और उसे तुरंत इलाज की जरूरत थी। ऐसे में परिजनों को जहां सही लगा, इलाज कराया। लिहाजा जो भी क्लेम है, वह 30 दिन में जारी किया जाए। 
विकासपुरी निवासी कृष्ण खन्ना के बेटे विजय खन्ना ने राज्य उपभोक्ता आयोग में शिक्षा विभाग के खिलाफ अपील दायर की थी। अपील के मुताबिक, उनके पिता विभाग के सेवानिवृत्त कर्मचारी थे और दिल के मरीज थे। वह दिल्ली कर्मचारी हेल्थ स्कीम में सूचीबद्ध थे और 2008 में उन्होंने अपने दिल की बीमारी का इलाज कराया। विभाग से सूचीबद्ध अस्पताल में उनका इलाज सही नहीं हुआ तो दूसरे अस्पताल में भर्ती कराया गया, क्योंकि मधुमेह के अलावा दिल पूरी तरह से ब्लॉक हो गया था। जिस अस्पताल में इलाज कराया गया, वहां करीब ढाई लाख रुपये खर्च आया। 
शिक्षा विभाग से जब क्लेम मांगा गया तो विभाग ने यह कहते हुए इन्कार कर दिया कि गैर सूचीबद्ध अस्पताल में हुए इलाज का क्लेम नहीं दिया जा सकता। पहले उपभोक्ता फोरम में केस किया तो पीड़ित परिवार के हक में फैसला आया, लेकिन विभाग ने नहीं माना तो आयोग में अपील की गई। अब आयोग ने भी फोरम के फैसले को सही ठहराया है। 1राज्य उपभोक्ता आयोग ने शिक्षा विभाग के उपनिदेशक को आदेश दिया है कि विभाग के सेवानिवृत्त कर्मचारी के परिवार को उसका मेडिकल क्लेम जारी किया जाए। आयोग ने कहा कि 2 लाख 29 हजार रुपये का क्लेम छह फीसद वार्षिक ब्याज के साथ दिया जाए।

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