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Friday, 19 October 2018

डीयू में एस्मा लागू करने की तैयारी, शिक्षकों का विरोध

नई दिल्ली : दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के अधिनियम में बदलाव करने के साथ ही विश्वविद्यालय में आवश्यक सेवाएं संरक्षण अधिनियम (एस्मा) लागू करने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए मानव संसाधन विकास मंत्रलय (एमएचआरडी) ने एक समिति का गठन किया है। 
चार अक्टूबर को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के संयुक्त सचिव जितेंद्र कुमार त्रिपाठी ने एक अधिसूचना जारी की थी। उसमें समिति के गठन का जिक्र करते हुए कहा गया है कि यह समिति शिक्षण, अभ्यास, मूल्याकंन और परीक्षा जैसे मामलों को एस्मा के तहत लाने के लिए अध्ययन करेगी और समिति को 30 दिनों के अंदर मंत्रलय को रिपोर्ट सौंपनी होगी। उधर, एमएचआरडी द्वारा गठित समिति पर बृहस्पतिवार को डीयू के एकेडमिक्स फॉर एक्शन एंड डेवलपमेंट (एएडी) के अध्यक्ष डॉ. आदित्य नारायण ने विश्वविद्यालय के गेस्ट हाउस में प्रेसवार्ता की और इस समिति के बारे में जानकारी देते हुए कई सवाल उठाए। 
डीयू के अधिनियम बदलने की कोशिश : 
डॉ. आदित्य ने कहा कि डीयू के अधिनियम को बदलने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने सवाल उठाया कि इस तरह के मामलों में डीयू की सर्वोच्च परिषद ईसी (कार्यकारी परिषद) की बैठकों में चर्चा जरूरी है, लेकिन डीयू प्रशासन ने इस मामले में कोई चर्चा नहीं की। उन्होंने डीयू के ओएसडी की इस समिति के सदस्य नियुक्त होने पर भी सवाल उठाए।
दिल्ली विश्वविद्यालय के गेस्ट हाउस में प्रेस वार्ता कर एमएचआरडी की तरफ से डीयू के अधिनियम में बदलाव करने के लिए गठित की गई 
केंद्रीय नीतियों पर बोलेंगे तो गिरफ्तार : डॉ. आदित्य
डॉ. आदित्य तीन बार दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) के अध्यक्ष रह चुके हैं। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि एस्मा डीयू के अधिनियम में शामिल किया जा रहा है। यह लागू होता है तो भविष्य में शिक्षक केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ कुछ भी नहीं बोल सकेंगे। अगर बोलेंगे तो उन पर एस्मा नियम के तहत बिना किसी वारंट के गिरफ्तार कर लिया जाएगा। यही नियम छात्रों पर भी लागू होगा। उन्होंने प्रेसवार्ता में कहा कि 1903 में तत्कालीन साम्राज्यवादी शासन की तरफ से विश्वविद्यालयों के केंद्रीयकरण और उसमें नौकरशाही के हस्तक्षेप के विरोध में पंडित मंदन मोहन मालवीय ने भी आवाज उठाई थी।ये होंगे समिति के सदस्य1समिति में यूजीसी के पूर्व सदस्य प्रो. वीएस चौहान को अध्यक्ष नियुक्ति किया गया है। वहीं, यूजीसी के संयुक्त सचिव डॉ. जितेंद्र कुमार त्रिपाठी, भोपाल के नेशनल लॉ इंस्टीट्यूट यूनिवर्सिटी के निदेशक प्रो वी. विजया कुमार, तेजपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. वीके जैन, मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज के रजिस्ट्रार डॉ. सीपी मोहन कुमार, बनारस हंिदूू विश्वविद्यालय के पूर्व रजिस्ट्रार डॉ. एन सुंदरम और डीयू के ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी (ओएसडी) डॉ. सतीश कुमार को समिति का सदस्य नियुक्त किया गया है।
नैक ग्रेडिंग की जरूरत नहीं: डॉ. आदित्य
दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में अक्टूबर के अंत में राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) की टीम आने वाली है। इस मामले में शिक्षकों का कहना है कि डीयू को नैक ग्रेडिंग की जरूरत नहीं है। क्योंकि, डीयू की स्थापना संसद के अधिनियम के तहत हुई थी और नैक की स्थापना निजी कॉलेजों के मूल्यांकन के लिए गठित की गई थी। इस पर डीयू के एकेडमिक्स फॉर एक्शन डेवलपमेंट कमेटी के अध्यक्ष डॉ. आदित्य नारायण ने कहा कि जब मैं दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) का अध्यक्ष था, उस वक्त भी डीयू में नैक की टीम को लाने की कोशिश की गई थी। हमने इसका विरोध किया था और उसे डीयू तक आने नहीं दिया।

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