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Friday 8 May 2015

प्रदेश में खराब परीक्षा परिणामों की चिंता

हरियाणा शिक्षा बोर्ड की दसवीं और बारहवीं का परीक्षा परिणाम आठ वर्षो के दौरान सबसे खराब रहने से कई सवाल स्वाभाविक रूप से उठ रहे हैं। शिक्षा का अधिकार कानून लागू होने के बाद आठवीं तक बिना परीक्षा लिये अगली कक्षा में प्रवेश के घोर नकारात्मक परिणाम कुछ वर्ष पूर्व ही दिखाई देने लगे थे। पूर्व सरकार की शिक्षा मंत्री ने राष्ट्रीय सम्मेलनों में दो बार इनके बारे में विस्तार से जानकारी दी और समाधान के लिए दिशा-निर्देश मांगे थे। न निर्देश मिले, न समाधान हुआ। सरकारी स्कूलों में बच्चों का कमजोर शिक्षा आधार स्थायी समस्या बन गया है। प्रदेश में शिक्षा का आधारभूत ढांचा कमजोर है, यह जानते हुए भी ठोस नीति न बना पाना चिंताजनक होने के साथ दुर्भाग्यपूर्ण भी है। बात सरकारी स्कूलों में आधुनिक संसाधनों की हो, लैब, तकनीक, भवन, फर्नीचर, समय पर पाठ्य पुस्तकों की उपलब्धता की हो या फिर शिक्षकों की पर्याप्त संख्या में तैनाती की, किसी मोर्चे पर सरकार या शिक्षा विभाग प्रभावशाली ढंग से आगे बढ़ते दिखाई नहीं दिए। समस्या के सबसे बड़े कारण पर चर्चा बेहद जरूरी है। स्कूलों में अध्यापकों के 25 हजार से अधिक पद खाली हैं, नई भर्ती प्रक्रिया में अनेक अड़चनें हैं, हजारों लैब सहायक हटा दिए गए, 15 हजार से अधिक अतिथि अध्यापकों पर तलवार लटकी है, सात हजार से अधिक पीजीटी का वेतन रोक दिया गया, टीजीटी और जेबीटी भी अपने को सहज स्थिति में नहीं पा रहे। अराजकता जैसी स्थिति में बोर्ड परीक्षा के अच्छे परिणामों की आशा कोई करे भी तो कैसे? केवल यह कह कर विभाग जिम्मेदारी से नहीं बच सकता कि पिछली सरकारों की अतार्किक नीतियों के कारण यह सब हो रहा है। भूतकाल को ढाल बना कर मुंह छिपाने की कोशिश नहीं की जानी चाहिए, वर्तमान में अपनी दक्षता, प्रबंध कुशलता दिखाने के लिए सरकार को ठोस नीति-रणनीति के साथ आगे आना होगा। शिक्षकों को लेकर ऐसी दयनीय, चिंतनीय स्थिति अधिक समय तक नहीं चलनी चाहिए अन्यथा शिक्षा आधार के छेद इतने गहरे हो सकते हैं जिन्हें भरना काबू से बाहर की बात हो जाएगी। शिक्षकों के रिक्त पद भरने के लिए असाधारण प्रतिबद्धता दिखाई जाए, यह आवश्यकता है और अनिवार्यता भी। वर्तमान हालात में शिक्षा का स्तर बढ़ने की अधिक अपेक्षा नहीं की जा सकती, स्थिति कुछ ऐसी है कि दौड़ने से पहले हम चलना तो सीख लें, ऐसा तभी होगा जब आधार मजबूत होगा।                                                              djedtrl

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