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Sunday 8 November 2015

आईआईटी दाखिले के लिए होगा एप्टीट्यूड टेस्ट

** कोचिंग संस्थानों पर निर्भरता कम करने के लिए समिति ने की सिफारिशें, केंद्र सरकार को सौंपी रिपोर्ट 
** 2017 से लागू होने के लिए प्रस्तावित व्यवस्था 
नई दिल्ली/पटना : यूपीए सरकार ने तीन साल पहले आईआईटी समेत केंद्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों में एडमिशन की प्रक्रिया बदली थी। सोच थी कोचिंग संस्थानों पर निर्भरता खत्म करना। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। अब मोदी सरकार नई व्यवस्था लागू करने की तैयारी में है। प्रस्तावित व्यवस्था में एप्टीट्यूड टेस्ट से चुने छात्र ही जॉइंट एंट्रेंस टेस्ट (जेईई) दे सकेंगे। तर्क यह है कि कोई भी छात्र अपना एप्टीट्यूड किसी कोचिंग क्लास में विकसित नहीं कर सकता। 
आईआईटी बॉम्बे के पूर्व निदेशक प्रोफेसर अशोक मिश्रा की अध्यक्षता में बनी प्रबुद्ध जन समिति (सीईपी) ने पांच नवंबर को अपनी रिपोर्ट मानव संसाधन विकास मंत्रालय को सौंप दी है। इसमें एप्टीट्यूड टेस्ट कराने के लिए नेशनल टेस्टिंग सर्विस बनाने की सिफारिश की गई है। नई व्यवस्था 2017 से लागू होगी। यानी 2016 में मौजूदा व्यवस्था से ही परीक्षा ली जाएगी। समिति का कहना है कि 2013 में लागू की गई जेईई (मेन्स) और जेईई (एडवांस) की दो स्तरीय प्रवेश परीक्षा में कई खामियां हैं। इसकी वजह से कोचिंग संस्थानों पर निर्भरता कम होने के बजाय बढ़ गई है। मंत्रालय ने व्यापक विचार-विमर्श के लिए समिति की सिफारिशें सार्वजनिक करने का फैसला लिया है। 
अभी यह है व्यवस्था; 2016 में भी जारी रहेगी 

  • जेईई (मेन्स) में मेरिट के आधार पर डेढ़ लाख छात्रों को चुना जाता है। चयनित डेढ़ लाख छात्र ही जेईई (एडवांस) दे पाते हैं। 
  • जेईई (मेन्स) और कक्षा 12वीं के अंकों को 60:40 के अनुपात में वेटेज दिया जाता है। इससे एनआईटी एवं अन्य संस्थानों में एडमिशन दिया जाता है। 
  • जेईई (एडवांस) में मेरिट के आधार पर आईआईटी में एडमिशन दिया जाता है। इसमें भी छात्र को बोर्ड में 75 फीसदी अंक या बोर्ड के टॉप 20 परसेंटाइल में जगह बनाना अनिवार्य है। 
  • 2016 में मौजूदा व्यवस्था ही लागू होगी। लेकिन जेईई (एडवांस) के लिए डेढ़ लाख के बजाय दो लाख छात्रों को शामिल किया जाएगा। 

... लेकिन कोचिंग की दुकानें चलती रहेंगी 
तीन साल पहले यूपीए सरकार ने जो व्यवस्था लागू की थी वह 12वीं बोर्ड के अंकों के आधार पर एडमिशन की थी। लेकिन नतीजा यह हुआ कि वेटेज और परसेंटाइल की जटिलता एडमिशन प्रक्रिया में शामिल हो गई। इससे कोचिंग संस्थानों पर निर्भरता और बढ़ी। कई बच्चे तो ऐसे बोर्ड्स में जाकर पढ़े, जहां टॉप 20 परसेंटाइल का प्रतिशत कम रहता था। उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों से भी कोचिंग संस्थानों पर असर पड़ने की गुंजाइश कम ही है। 
खत्म होगा 12वीं के अंकों का वेटेज 
एनआईटी, ट्रिपलआईटी और जीएफटीआई में दाखिले के लिए भी 12वीं के अंकों का वेटेज खत्म हो जाएगा। एनआईटी काउंसिल ने केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय को सिफारिश की है कि जेईई (मेन्स) -2016 से 12वीं के वेटेज के नियम को हटाया जाए। यानी इस बार राज्यों के बोर्ड की ओर से अंकों का इंतजार नहीं करना पड़ेगा और एडमिशन प्रक्रिया जल्दी निपटाई जा सकेगी। 
प्रस्तावित व्यवस्था से यह आएगा बदलाव 

  • एप्टीट्यूड टेस्ट से रटे-रटाए जवाब देने वाले नहीं बल्कि बेहतर समझ रखने वाले छात्र ही शीर्ष प्रौद्योगिकी संस्थानों में एडमिशन ले पाएंगे। 
  •  नई व्यवस्था सेवेटेज निकालने का झंझट रहेगा और ही बोर्ड से टॉप 20 परसेंटाइल आंकड़ों का इंतजार करना पड़ेगा। 
  • आईआईटी,एनआईटीजैसे संस्थानों में एडमिशन एक ही टेस्ट से होगा तो छात्रों को कॉलेज चुनने में आसानी होगी। 
  • 2016 की शुरुआत में नेशनल टेस्टिंग सर्विस (एनटीएस) बनाया जाएगा। 2017 से साल में दो या ज्यादा बार ऑनलाइन एप्टीट्यूड टेस्ट लिया जाएगा। 
  • एप्टीट्यूड टेस्टमें साइंटिफिक एप्टीट्यूड और इनोवेटिव थिंकिंग से जुड़े सवाल पूछे जाएंगे। इसमें से चयनित चार लाख छा्र ही जेईई दे सकेंगे। मेन्स और एडवांस के बजाय एक ही एंट्रेंस टेस्ट होगा। 
  • जेईई में ही टॉप 40 हजार छात्रों को कॉमन काउंसिलिंग के जरिए आईआईटी और एनआईटी में दाखिले का मौका दिया जाएगा। 
  • तीन साल पहले आईआईटी में दाखिले के लिए 12वीं की बोर्ड परीक्षा में न्यूनतम 60% अंक लाने होते थे। यह नियम दोबारा लागू हो जाएगा।                                                              db

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