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Thursday 19 November 2015

दिल्ली के प्रसिद्ध इंस्टीट्यूट से हल कराया था पेपर

जींद : एचटेट लेवल-तीन का प्रश्नपत्र दिल्ली के मुखर्जी नगर स्थित एक प्रसिद्ध इंस्टीट्यूट पर सॉल्व कराया गया था। प्रश्नपत्र इंस्टीट्यूट के कर्मचारी के जरिये ही संस्थान में मंगवाया गया था और उसके बाद वहां से आंसर-की भेजी गई। इसी इंस्टीट्यूट में पहले भी कई प्रतियोगी परीक्षा के प्रश्नपत्र लीक कराए जाते रहे हैं। नामी संस्थान का नाम सामने आने के बाद पुलिस भी संस्थान से जुड़ी जानकारियां खंगालने में जुट गई है। साथ ही उस कर्मचारी की तलाश में भी जुट गए हैं, जिन्होंने प्रश्नपत्र लीक कर इंस्टीट्यूट में मंगवाकर आंसर-की बनवाने का काम किया था। सूत्रों की माने तो पुलिस पूछताछ में आरोपियों ने खुद कबूला है कि दिल्ली के मुखर्जी नगर में कई सेंटर हैं, जहां से इस प्रकार की प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रश्नपत्रों की आंसर-की बनवाने का काम किया जाता है। दिल्ली के मुखर्जी नगर में इस नामी-गिरामी सेंटर के कर्मचारी हरीश ने ही आगे लोगों को आंसर-की उपलब्ध करवाने का काम किया। बताया जा रहा है कि संदीप ने भी हरीश से ही दो लाख रुपये में की खरीदी थी और उसी के संस्थान में ही एचटेट लेवल-तीन का पेपर हल कराया था। पुलिस सूत्रों की माने तो प्रकरण में घूम-फिरकर सुई दिल्ली के मुखर्जी नगर के नामी संस्थान के कर्मचारी हरीश पर टिक रही है। पुलिस भी दिल्ली व रिवाड़ी में हरीश के ठिकानों पर छापामार कार्रवाई कर रही है, लेकिन अब तक उसका पता पुलिस को नहीं लग सका है। 
पकड़े गए तीन आरोपी एक माह से अधिक समय से दिल्ली के द्वारका चौक के रेजीडेंशियल फ्लैट में किराये पर रह रहे थे और तीनों ही वहीं के एक ठेकेदार से डेलीवेजेज की नौकरी का इंतजार कर रहे थे, लेकिन इस दौरान उनके एक दोस्त ने अपनी गर्लफ्रेंड के लिए आंसर-की बात चलाई, जिसे इनमें से ही किसी ने उपलब्ध करवाने की हामी भरी और उसके बाद वे सोनीपत निवासी प्रवीण से मिले। इसके बाद उन्हें आंसर-की मिली। चंडीगढ़ में कार्यरत मनित का कई सरकारी अधिकारियों से संपर्क है जो उनके माध्यम से ही सांठ-गांठ करके पेपरों को पहले भी लीक कराता रहा है। मनित ने पहले भी कई पेपरों को लीक करवाकर पकड़े गए कुछ अन्य आरोपियों को दिलाए थे।
बुधवार को इस मामले में एक अन्य आरोपी सचिन को गिरफ्तार किया गया है जबकि नौ अन्य आरोपियों को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया है। -दिनेश यादव, डीएसपी, जींद।

पिछले साल वाली रणनीति से बच सकती थी लाज
एचटेट में यदि 2014 की रणनीति अपनाई जाती तो शिक्षा बोर्ड और शिक्षा विभाग फजीहत से बच सकता था। शिक्षा बोर्ड प्रशासन ने 2014 में एचटेट के दौरान प्रश्न पत्रों के वितरण को लेकर लगाई जाने वाली ड्यूटियों में कई बार बदलाव किया था। किसी भी कर्मचारी को यह पता नहीं था कि वह किस जिले में प्रश्न पत्र लेकर जा रहा है और आगे किस सेंटर तक जाएगा। इसके लिए परीक्षा से एक दिन पूर्व जिला खजाना कार्यालयों तक टीमें रवाना कर दी जाती थी। इसके बाद रात को दोबारा से ड्यूटियां लगाई जाती थी। तत्कालीन सचिव संचालन शाखा द्वारा लगाई ड्यूटियों में एक बार फिर से बदलाव कर देते थे और उन्हें अगले दिन बताया जाता था कि अब किसे कौन से परीक्षा केंद्र पर जाना है।                                                             

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