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Saturday 23 November 2013

राजकीय स्कूलों को अब आप भी ले सकते हैं गोद

** शिक्षण व विकास के लिए सरकार ने बनाई विद्यालय पोषण नीति
चंडीगढ़ : राजकीय स्कूलों की गुणवत्ता और गुणात्मकता बढ़ाने के लिए अब आप उन्हें गोद ले सकते हैं। इसके लिए फार्म भरकर बकायदा सरकार के साथ समझौते पर हस्ताक्षर करने होंगे।  
स्कूलों में सामाजिक सहभागिता बढ़ाने के मकसद से सरकार ने विद्यालय पोषण नीति बनाई है, ताकि शिक्षा व्यवस्था में गैर स्वयंसेवी संगठनों व पंचायती राज संस्थाओं की सहभागिता बढ़े। विभाग की नीति के मुताबिक स्कूलों, विद्यार्थियों की आवश्यकताओं और स्थानीय मुद्दों को केंद्र में रख यह नीति बनाई गई है। नीति के मुताबिक कोई भी व्यक्ति या संस्था जो किसी भी भवन निर्माण में एक-तिहाई से अधिक आर्थिक योगदान देगा, उसका नाम भवन पर अंकित किया जाएगा। 
दस हजार रु. तक का आर्थिक सहयोग देने वाले को प्रमाणपत्र दिया जाएगा और वेब पोर्टल पर उसका नाम डाला जाएगा। दस हजार से ऊपर और एक लाख तक सहयोग करने वाले का नाम वेब पोर्टल पर डालने के साथ प्रमाणपत्र दिया जाएगा। विद्यालय सूचना पट पर भी उनका नाम लिखा जाएगा। एक लाख रुपये से अधिक का धन देने वाले व्यक्ति या संस्था को उपरोक्त तीनों के अलावा विशेष अवसरों पर सम्मानित भी किया जाएगा।
"जब समाज के विभिन्न वर्गो की भागीदारी बढ़ेगी तो स्कूल शिक्षकों और प्रबंधन की जवाबदेही भी बढ़ेगी। छात्रों में समाज के प्रति उत्तरदायित्व की भावना भी पैदा होगी।"--सुरीना राजन, प्रधान वित्त सचिव, स्कूल शिक्षा विभाग
शिक्षण और प्रशिक्षण संबंधी गतिविधियां
  • पुस्तकालय, प्रयोगशालाएं, कंप्यूटर प्रयोगशाला, ड्यूल डेस्क, ब्लैकबोर्ड, मानचित्र आदि।
  • छात्रवृत्ति (33 साला छात्रवृत्ति को बढ़ावा दिया जाएगा)
  • प्राथमिक और हाई स्कूल तक जरूरतमंद और अनाथ छात्रों को गोद लेना।
  • अलग-अलग अवसरों पर नकद पुरस्कार हेतु, पुरस्कार में पठन-पाठन सामग्री प्रदान करने हेतु
  • स्कूलों के आसपास स्थित स्लम बस्तियों के विकास हेतु।
  • मिड डे मिल की गुणवत्ता और गुणात्मकता बढ़ाने हेतु, बर्तन उपलब्ध कराने हेतु।
  • राष्ट्रीय,अतंरराष्ट्रीय और परंपरागत उत्सव मनाने हेतु।            db 

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