** सरकार द्वारा आर्थिक सहायता नहीं मिलने पर बढ़ाई जाएगी फीस
134 ए के तहत मेधावी बीपीएल बच्चों को प्राइवेट स्कूलों दाखिला दिलाने के लिए शिक्षा विभाग और स्कूल संचालकों के बीच चल रहे मतभेद में अब आम अभिभावक भी पिसेंगे। इस बार कमेटी का गठन कर स्कूल संचालकों को घेरने की कोशिश में लगे विभाग को स्कूल संचालकों ने टका सा जवाब दे दिया है कि सरकार अगर आर्थिक सहायता दिए बिना 134 ए के तहत दाखिला दिलाने की कोशिश करती है तो 11 प्रतिशत फीस बढ़ा दी जाएगी।
यह निर्णय शनिवार को मॉडल टाउन स्थित गुरुराम दास सीनियर सेकेंडरी स्कूल में आयोजित हरियाणा यूनाइटेड स्कूल एसोसिएशन(हुसा) की राज्य स्तरीय बैठक में लिया गया। इसमें हरियाणा बोर्ड व सीबीएसई से संबंधित पानीपत, सोनीपत, करनाल, हिसार, जींद, यमुनानगर, हांसी, फतेहाबाद आदि जिलों के स्कूल संचालक मौजूद रहे। 134 ए के विरोध में स्कूल संचालक जल्द ही हाईकोर्ट में भी केस दायर करेंगे। स्कूल संचालकों के इस कदम से अब फिर 134ए को लेकर राजनीतिक सरगर्मी तेज होने के आसार नजर आने लगे हैं।
हरियाणा यूनाइटेड स्कूल एसोसिएशन(हुसा) की बैठक में एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष विजेंद्र मान ने 134ए के अलावा प्रापर्टी टैक्स और ईएसआई माफ करने का मुद्दा भी उठाया। जिसको सभी स्कूल संचालकों ने एकमत से माफ करने का आह्वान किया। बैठक में हुसा के संरक्षक सूरजभान सैनी, विजय निर्मोही, सुभाष श्योराण, वरिष्ठ उपप्रधान मनोहरलाल चावला, अजमेर सिंह, डॉ. धर्मदेव विद्यार्थी, सचिव धर्मप्रकाश आर्य, जितेंद्र, ओपी विश्नोई मुख्य रूप से मौजूद रहे।
अभिभावकों को 30 % फीस वृद्धि का उठाना पड़ेगा बोझ
अभिभावकों के लिए अब 134ए मुसीबत बन सकती है। हाईकोर्ट ने जिन आम अभिभावकों को राहत देने के लिए 134ए व आरटीई जैसे नियम लागू किए थे। इसका भार सरकार और स्कूल संचालकों के माध्यम से होते हुए फिर से आम अभिभावकों के सिर पर आ गया। अगर स्कूल संचालकों ने फीस में बढ़ोतरी कर दी, तो अभिभावकों पर एक ही सत्र में 25 से 30 प्रतिशत फीस वृद्धि का भारी बोझ उठाना पड़ सकता है।
आरटीई लागू करने की मांग
अभी तक आरटीई लागू करने से बचने वाले स्कूल संचालक अब 134ए के डर से आरटीई लागू करने की मांग करने लगे हैं, क्योंकि आरटीई के तहत सिर्फ 10 प्रतिशत सीटों पर ही दाखिला देना होगा, वहीं 134ए के तहत 25 प्रतिशत सीटों पर दाखिला देना होगा। साथ ही आरटीई के दायरे में 6 से 14 वर्ष तक के बच्चे ही आते हैं, वहीं 134ए के दायरे में तहत पहली से 12वीं क्लास तक के बच्चे आते हैं, हालांकि स्कूल संचालकों का तर्क है कि आरटीई के दायरे में सभी गरीब बच्चे आते हैं। मुफ्त शिक्षा के साथ ही उन्हें फ्री में वर्दी और किताबें भी मिलेंगी, जो उनके लिए अधिक फायदेमंद है।
134 ए नियम में भी मतभेद
134ए के दायरे में किन छात्रों को शामिल किया जाए और किसे नहीं, इस पर भी मतभेद बन रहा है। एक तरफ जहां शिक्षा विभाग और दो जमा पांच मुद्दे जन आंदोलन का कहना है कि 134ए के दायरे में दो लाख रुपए से कम आय वाले व बीपीएल परिवार के सदस्य आते हैं, वहीं स्कूल संचालकों का कहना है कि हाईकोर्ट ने 15 मई 3012 को ईडब्ल्यूएस के दायरे में आने वाले बच्चों को एडमिशन देने को कहा था। इसका मतलब बीपीएल परिवार से संबंधित उन बच्चों को ही एडमिशन दिया जाएगा जो मेधावी होंगे।
सरकार ने 25 प्रतिशत दाखिले का खर्च करने को नहीं बनाई पॉलिसी
हुसा के प्रधान विजेंद्र मान ने कहा कि हाईकोर्ट द्वारा 23 अप्रैल 2012 को दिए गए जजमेंट में आदेश दिया गया था कि 134ए के तहत प्राइवेट स्कूलों में 25 प्रतिशत दाखिले का खर्च सरकार वहन करेगी, लेकिन इस संबंध में सरकार ने अभी तक कोई पॉलिसी नहीं बनाई। इसके उल्टे गरीब बच्चों की पढ़ाई का खर्च स्कूलों पर थोपा जा रहा है। अगर सरकार ने जबरन 134ए लागू कर दिया और हमें आर्थिक मदद नहीं दी, तो मजबूरी में हमें भी 11 प्रतिशत फीस बढ़ानी पड़ जाएगी।
लोगों को 134 ए नियम से मिलने वाली सुविधाओं की लोगों को जानकारी देने के लिए दो जमा पांच मुद्दे जन आंदोलन के सदस्यों ने रविवार से जागरूकता अभियान शुरु किया। आंदोलन के प्रचार रथ को जोन प्रभारी दलबीर भोसले ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। जिला प्रधान सोकेंद्र बालियान ने कहा कि इस प्रचार अभियान का मकसद अभिभावकों को उनके अधिकारों के प्रति जानकारी देना और 7 मार्च तक अधिक से अधिक पात्र अभिभावकों से आवेदन कराना है। प्रचार अभियान नूरवाला से शुरु होकर गांजबढ़, बड़ौली, बाबरपुर, फरीदपुर, बस स्टैंड, सनौली रोड, बबैल रोड, कटानी रोड, देवी मंदिर आदि जगहों से होते हुए भावना चौक पर समाप्त हुआ। इस मौके पर जिला महासचिव दिनेश कांगड़ा, कोषाध्यक्ष रवि जीनवाल, रोहित कश्यप, ताहिर खान, अश्वनी, नरेश, डॉ. हरपाल, धर्मपाल, अलीशेर अंसारी आदि मौजूद रहे। dbpnpt
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