** उपकरण खराब होने पर कोटेशन के आधार पर आएगा पैसा
एजुसेट प्रणाली के रख रखाव में अब फंड की कमी आड़े नहीं आएगी। बैट्री, यूपीएस व अन्य उपकरण खराब होने पर कोटेशन के आधार पर एसएमसी के अकाउंट में पैसा आएगा। मेंटिनेंस इसी राशि से होगी। स्कूलों में बदहाल एजुसेट व्यवस्था को फिर से संवारने के लिए यह कवायद शुरू की गई है। जी-3 सैटेलाइट के माध्यम से सरकारी स्कूलों में सस्टेनेबल डिस्टेंस एजुकेशन कार्यक्रम शुरू किया गया। एजुसेट प्रणाली का मकसद समान व गुणवत्तायुक्त शिक्षा दूर दराज के क्षेत्रों तक पहुंचाना है। सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में वर्ष 2006 से गणित, अंग्रेजी व विज्ञान की कक्षाओं का प्रसारण शुरू किया गया।
प्रदेश भर में 9000 से अधिक प्राइमरी व सीनियर सेकेंडरी स्कूल इससे जुड़े हैं। एजुसेट प्रणाली पर करोड़ों खर्च होने के बाद भी कक्षाओं के नियमित प्रसारण में बाधा आती है। बैट्री, यूपीएस व टीवी सहित उपकरण खराब होने से 6-7 वर्षो से एजुसेट प्रणाली छात्रों के लिए उपयोगी साबित नहीं हुई। स्कूलों में फंड की कमी से इसके मेंटिनेंस में बाधा आने लगी। शिक्षा निदेशालय ने नए शैक्षणिक सत्र अप्रैल 2014 से एजुसेट प्रणाली को पूर्णतया दुरुस्त करने का निर्णय लिया है।
राजकीय स्कूलों में एजुसेट की बैट्री, यूपीएस व टीवी जैसे बड़े सामानों की खराबी अब दूर कर दी जाएगी। सबसे पहले रिपेयरिंग के लिए कोटेशन मांगे जाएंगे। कोटेशन के आधार पर विद्यालय प्रबंधन समिति के अकाउंट में पैसा आएगा। स्कूल के इंचार्ज खराब एजुसेट के उपकरण के बारे में जिले में पदस्थ कनिष्ठ अभियंता (शिक्षा विभाग) के पास शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। शिकायत में दिए खराब उपकरणों का कोटेशन मांगा जाएगा। djpnpt
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